<p>प्रदेश में जल आधारित पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार 2020 में बिलासपुर स्थित कोल-डैम जलाशय में खेल और मत्स्य आखेट गतिविधियां आरम्भ करेगी। प्रदेश का मत्स्य विभाग कोल-डैम जलाशय में स्पोर्टस फिश महाशीर के बीजों का भण्डारण और उत्पादन को बढ़ावा देगा ताकि देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके। वर्तमान में मानव निर्मित जलाशयों में कार्प, सिल्वर कार्प, महाशीर और ग्रास कार्प इत्यादि मछलियों की प्रजातियां पाली जा रही है।</p>
<p>मत्स्य विभाग द्वारा बिलासपुर, सोलन, मण्डी और शिमला जिलों में लगभग 1302 हेक्टेयर जल संग्रह क्षेत्र में स्पोर्टस फिशरीज आरम्भ करने की योजना बनाई है। कोल-डैम जलाशय में मत्स्य आखेट को बढ़ावा देने के लिए एंगलिंग हट्स भी स्थापित की जाएंगी। इससे एंगलिंग मे रुचि रखने वाले पर्यटकों को राज्य में आकर्षित किया जा सकेगा और नए पर्यटन गंतव्यों का विकास होगा।</p>
<p>कोल-डैम में 2018-19 में 5.595 मीट्रिक टन मछली का रिकार्ड उत्पादन हुआ, जबकि वर्ष-2017-18 में 3.105 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन दर्ज किया गया था। राज्य सरकार ने 2019-20 के लिए यहां 9 मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है। अभी तक यहां 7.045 मीट्रिक टन मछली उत्पादन दर्ज किया गया है। कोल-डैम में वर्ष-2018-19 में मछलियों का 101 रुपये प्रति किलो की दर से विक्रय किया गया, जो कि सबसे अधिक था।</p>
<p>राज्य सरकार ने कोल-डैम के निर्माण के दौरान विस्थापित हुए परिवारों को वाणिज्यिक मत्स्य उत्पादन के माध्यम से जीविकार्जन के अवसर प्रदान किए हैं। इसके साथ-साथ वाणिज्यिक मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पांच सहकारी सभाओं का गठन भी किया गया है, जिनमें डैम के विस्थापितों, नदी के पुराने मछुआरों और नदी तट के गरीब परिवारों को प्राथमिक सदस्य के रूप में पंजीकृत किया गया है।</p>
<p> वर्तमान में कोल-डैम में 350 मछुआरें मछलियों का उत्पादन कर अपनी जीविका अर्जित कर रहे हैं। सतलुज नदी में साईजोथोरैक्स (गुगली मछली) महाशीर, छोटी कार्प, कैट फिश और इसमें ऊपरी क्षेत्रों ट्राउट मछली पाई जाती है। गोबिन्द सागर से भी सिल्वर कार्प मछली प्रजनन के लिए सतलुल नदी के ऊपरी क्षेत्र की ओर जाती है, जहां पानी का तापमान इसके अनुरूप होता है।</p>
<p>मत्स्य विभाग ने इस जलाशय में कोल (बिलासपुर), बेरल (सोलन), सुन्नी (शिमला) में तीन मत्स्य लैंडिंग सेंटर स्थापित किए हैं। इनमें सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। सहकारी सभाओं के सदस्यों द्वारा पकड़ी गई मछलियां ठेकेदारों को दे दी जाती है ताकि उनका इन केन्द्रों में विपणन किया जा सके। बेहतर स्वायत्त मत्स्य प्रजनन के लिए विभाग शीघ्र ही ‘फिशिंग क्लोज सीजन’ को हर साल 16 जून से 15 अगस्त तक करने पर विचार कर रहा है। वर्तमान में यह 01 जून से 31 जुलाई तक होता है। विभाग ने इस साल नवम्बर, 2019 तक 3.876 लाख मत्स्य बीच का भण्डारण किया है जबकि 2018-19 में विभागीय फार्मों और राज्य के बाहर से टैण्डर प्रक्रिया के माध्यम से 3.747 लाख मत्स्य बीज का भण्डारण किया गया था।</p>
<p>मत्स्य विभाग द्वारा जलाशयों के नजदीक कार्प हैचरी और रियरिंग पौंड स्थापित करने के लिए सर्वेक्षण किया जा रहा है। इससे छोटी मछलियों (फिंगरलिंग्ज़) के भण्डारण में मद्द मिलेगी। मत्स्य विभाग द्वारा कोल-डैम में ट्राउट मछली के उत्पादन को बढ़ाने के लिए 24 फिश केज़ स्थापित किए जा रहे हैं। गोबिन्द सागर जलाशय में भी 28 फिश केज़ स्थापित किए जा चुके हैं। इन फिश केज़ का प्रयोग छोटी मछलियों के उत्पादन के लिए किया जा रहा है ताकि इसके पश्चात जलाशयों में उनका भण्डारण किया जा सके।</p>
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