जयराम सरकार का बस किराये में बढ़ोतरी की फैसला प्रदेश की जनता को रास नहीं आ रहा है। एक ओर जहां राजनीतिक संगठन जयराम सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं, वहीं आम जनता भी फैसले के प्रति विरोधी स्वर छोड़ रही है।
लोगों का क़हना है कि एक तो महंगाई की मार जनता को सता रही है और ऊपर से सरकार के ये फैसला जेब काटने के बराबर है। अमीर लोगों के पास तो वैसे भी गाड़ियां हैं और उन्हें तेल की क़ीमतों से फर्क नहीं पड़ता। लेकिन यदि ग़रीब तपके को सरकार राहत देना चाहती तो पेट्रो पदार्थों के दाम कम किये जाने चाहिए थे, जो कि सरकार ने बिल्कुल नहीं किया। ग़रीब लोगों को सरकार के इस फैसले से मार पड़ने वाली है और इसमें कई दिक्कतें भी सामने आएंगी।
माकपा ने किया विरोध
वहीं, सरकार के इस फैसले पर सोमवार को शिमला में माकपा ने भी विरोध जताया और डीसी ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया। धरने के माध्यम से प्रदेश सरकार इस किराया वृद्धि को तुरंत वापिस लेने की मांग की गई। माकपा ने कहा कि प्रदेश की जनता आज बस के द्वारा ही सफर करती हैं और पहले ही महंगाई की मार झेल रही हैं। किसान, मजदूर, कर्मचारी, छात्र, महिला सभी इस बस किराया से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। यहां तक बीजेपी के सभी चुनावी वादे भी जुमले साबित हो रहे हैं।