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2 अप्रैल से शुरू हो रहे नवरात्र, 10 अप्रैल तक चलने वाले नवरात्र में क्या रहेगा ख़ास?

पी. चंद |

चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि की शुरुआत होती है। इस बार 2 अप्रैल से मां दुर्गा को समर्पित नवरात्रि शुरू हो रहे हैं, जो कि 10 अप्रैल तक चलेंगे। बसभी दुर्गुणों का नाश करने वाली मां दुर्गा के पावन पर्व चैत्र नवरात्र 9 दिन मनाए जाते हैं। इनको इस तरह भी देखा जा सकता है कि 9 ही ग्रह हैं, नौ ही हमारी इन्द्रियां है, नौ ही उपनिषद है और नौ ही दुर्गा के रूप हैं।

नवरात्र में मां दुर्गा की साधना-आराधना से हम तन को तंदुरूस्त बनाए रखने, मन को प्रसन्न रखने के साथ सभी ग्रहों को अपने अनुकूल बना सकते हैं। शनिवार 2 अप्रैल, चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से वासन्तिक-चैत्री नवरात्र प्रारंभ होंगे और 10 अप्रैल को नवरात्र का परायण होगा।

नवरात्रों के पावन मौके पर मां शक्ति के 51 पीठों पर भक्तों का सैलाब उमड़ता है। नवरात्रि पर्व को देखते हुए हिमाचल के शक्तिपीठों को सजाया जा रहा है। देवी भक्त आराधक-साधक अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति संचय करने के लिए कई प्रकार के व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, भजन, पूजन, योग साधना आदि करते हैं। माना जाता है कि, नवरात्र की नौ देवियों में से किसी एक भी देवी की कृपा के रक्षा कवच को विश्व का कोई भी शक्तिशाली परमाणु अस्त्र नहीं भेद सकता इसकी आध्यात्मिकता, वैज्ञानिकता को चुनौती नहीं दी जा सकती है।

शरीर को शुद्ध रखने के लिए, तनमन को निर्मल और पूर्णतः स्वस्थ रखने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया का नाम “नवरात्र” है। नवरात्र में मां का वाहन के आधार पर प्रकृति व संसार का नियम तय होता है। अगर नवरात्र सोमवार या रविवार से शुरू हो रहे हैं तो मां का वाहन हाथी होता है। अगर नवरात्र शनिवार या मंगलवार से शुरू होते हैं तो मां का वाहन घोड़ा होता है। अगर नवरात्र गुरुवार या शुक्रवार से शुरू होते हैं तो मां डोली में बैठकर आती हैं। अगर नवरात्र बुधवार से आरंभ हो रहे हैं तो मां नाव पर सवार होकर आती है।

शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकी‌र्त्तिता ।।

अर्थात जब मां हाथी पर सवार होकर धरती पर आती हैं तो ज्यादा पानी बरसता है, घोड़े पर सवार होकर आती हैं तो युद्ध के हालात पैदा होते हैं, नौका पर सवार होकर आती हैं तो सब अच्छा होता है और शुभ फलदायी होता है। अगर मां डोली में बैठकर आती हैं तो महामारी, संहार का अंदेशा होता है। इस साल यानी 2022 के चैत्र नवरात्र में देवी मां घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं और इसका अंदेशा युद्ध की संभावना से बन रहा है।