मुख्यमंत्री के OSD महेंद्र धर्माणी पीड़ित लोगों के लिए मसीहे से कम नहीं। उनकी एक मदद से एक व्यक्ति को अब जिंदगी मिल पाएगी और उनके साथ-साथ कई लोग लाभान्वित होंगे।
दरअसल, हमीरपुर जिला के संतोष कुमार गांव मोही की दोनों किडनियां फेल हो गई थी और वे उपचार के लिए DMC हॉस्पिटल लुधियाना गए। यहां डॉक्टर ने कहा कि उनकी दोनों किडनियां फेल हो चुकी हैं। लेकिन उनकी पत्नी का ब्लड ग्रुप उनसे मिलता है तो उनकी जान बच सकती है और आपको अपनी पत्नी की एक किडनी ट्रांसप्लांट हो सकती है। इसके लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है, जिसका एक स्वास्थ्य बोर्ड होता है जिसका चैयरमेन निर्देशक स्वास्थ्य विभाग हिमाचल सरकार होता है। अग़र वे एक महीने के अंदर मिल सकती है तो संभव हो पाएगा कि उनकी जान बच जाए।
इसकी अनुमति लेने के लिए महीनों प्रदेश के सरकारी कार्यकालयों में चक्र लगाने के बाद ही बड़ी मुश्किल से मिल पाती है। इसके लिए कई दफा संतोष का परिवार इधर उधर भटकते रहा, लेकिन बाद में उनकी मुलाक़ात मुख्यमंत्री के OSD धर्माणी से हुई। उन्होंने सारी कहानी बयां की और वे उसके लिए एक मसीहा बन कर आये जो काम करवाने के लिए महीनों लगा जाते हैं वे उन्होंने प्रदेश के सभी कार्यलयों से एक दिन में कर के NOC दिलवाई। इसके साथ में 7 और लोग जो अपनी चैयरमेन निर्देशक स्वास्थ्य विभाग हिमाचल सरकार से लेने के लिए इधर-उधर भटक रहे वे भी साथ में लाभान्वित हुए।
यदि उनका परिवार OSD महेंद्र धर्माणी का साथ नहीं मिला होता तो आज वे अपनी जिन्दगी से हाथ दो बैठते। लेकिन, इससे ये भी साफ़ हो जाता है की बिना राजनीतिक सहयोग से आम आदमी को इधर-उधर भटकना पड़ता है और सरकारी विभाग इसको कठपुतली समझ कर इधर-उधर नचाता रहता है। वहीं, सरकारी विभाग की लापरवाही के कारण कई लोगों को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ता होगा… लेकिन स्वास्थ्य विभाग पहले ही मरीज से ये भी लिखवा कर ले लेता है की यदि मरीज को कुछ हो जाता है तो वे खुद जिम्मेदार होगा। डॉ को कलियुग का भगवान माना जाता है तो फिर ये सब क्यों किया जाता है।