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हिमाचल में दर्जनों लोगों की डिग्रियां फर्जी, विजिलेंस ने किया खुलासा

जसबीर कुमार |

हिमाचल प्रदेश में फर्जी डिग्री हासिल करने वालों के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे। काफी वक़्त से सोलन की मानव भारती यूनिवर्सिटी में हजारों लोगों की डिग्रीयां फर्जी होने का मामला सुर्खियों में रहा…तो अब बिहार की मगध यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्रियों का भंडाफोड़ हुआ… इसमें हैरानी की बात ये है कि इस यूनिवर्सिटी से फर्जी डिग्रियां हासिल करने वालों में हिमाचल प्रदेश के डेढ़ दर्जन लोगों के नाम शामिल हैं। इनमें से व्यक्ति स्कूल प्रिंसिपल और एक दर्जन पूर्व सैनिक शामिल हैं।

इस मामले में हमीरपुर विजिलेंस की चार सदस्यीय टीम ने बिहार के मगध यूनिवर्सिटी पहुंचकर 17 डिग्रियों की जांच पड़ताल की, जिसमें कुलपति ने सभी 17 डिग्रियों को फर्जी बताया… करीब एक हफ्ते जांच करने के बाद ये टीम बिहार से हमीरपुर लौटी है ..जिसके बाद इस मामले में अब बड़ी कार्रवाई की तैयारी हो रही है।

विजीलेंस हमीरपुर डीएसपी लाल मण शर्मा ने बताया कि फर्जी डिग्रियों की जांच के लिए चार सदस्यीय टीम बिहार की मगध यूनिवर्सिटी भेजी गई थीए टीम वापस आ चुकी है। मगध यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने माना है कि 17 हिमाचली डिग्री धारकों का विश्वविद्यालय में कोई भी रिकॉर्ड नहीं है। उन्होने बताया कि मामले की जांच की जा रही है और जल्द मामले में चार्जशीट न्यायालय में दायर की जाएगी।

इसी बीच हैरान करने वाली बात ये भी है कि 2004-05 में हिमाचल शिक्षा विभाग में कई अध्यापक इन्हीं फर्जी डिग्रियों की बदौलत नौकरी पर हैं। जानकारी के मुताबिक, करीब दो दर्जन लाभार्थियों ने बिहार की मगध यूनिवर्सिटी से बिना परीक्षा दिए फर्जी सर्टिफिकेट और डिग्रियां हासिल की। मगध यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने माना है कि 17 हिमाचली डिग्री धारकों का विश्वविद्यालय में कोई भी रिकॉर्ड नहीं। इस खुलासे के बाद से विजिलेंस में FIR दर्ज होने के साथ ही फर्जी डिग्रियों के सहारे नौकरियां पाने वाले सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी तय है….

इस मामले की शिकायत राज्य सतर्कता और भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो शिमला में की गई और इसके बाद हमीरपुर से विजिलेंस टीम मार्च 2018 में मगध यूनिवर्सिटी पहुंची थी। उस वक़्त भी विजिलेंस टीम बिहार की मगध यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्रियों की जांच कर चुकी है। लेकिन संबंधित डिग्री धारकों का कोई रिकॉर्ड विश्वविद्यालय में नहीं मिला था। उस वक़्त एफआईआर के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। अब देखना ये है कि इस बार इन फर्जी डिग्री वाले कर्मचारियों पर क्या कार्रवाई होती है।