<p>हिमाचल घुमन्तू पशुपालक महासभा के एक प्रतिनिधिमण्डल ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आज अध्यक्ष राजकुमार के नेतृत्व में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से राजभवन में भेंट की। महासभा ने राज्यपाल से घुमन्तू पशुपालकों को वन अधिकार कानून के तहत चराई के अधिकार देने का आग्रह किया और कहा कि उनके परमिटों को रिकार्ड ऑफ राईट में दर्ज किया जाए।</p>
<p>उन्होंने कहा कि हिमाचल की पहाड़ी गाय और गौजरी भैंस को राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीएजीआर) द्वारा प्रदेश की मूल नस्लें घोषित किया गया है, जिसके संरक्षण और संवर्धन के लिए इनके खुली चराई क्षेत्र को भी सुरक्षित किया जाए। उन्होंने गत वर्ष जुलाई में पालमपुर में घुमन्तू पशुपालकों के लिए हुए एक दिवसीय प्रशिक्षण और सम्मेलन में पशुपालकों की मांग पर आवश्यक कार्रवाई का आग्रह भी किया।</p>
<p>उन्होंने बताया कि वर्तमान में राज्य में भेड़-बकरी की संख्या लगभग 20 लाख है, जो कुल पशुधन संख्या का 40 प्रतिशत है। ये पशुपालक परिवार मुख्यतः चम्बा, कांगड़ा, किन्नौर और शिमला जिला के स्थायी निवासी हैं, जो गर्मियों में जून से सितम्बर माह के दौरान हिमाचल के ऊपरी क्षेत्र में अपने पशुओं की चराई के लिए निर्भर हैं। जबकि दिसम्बर से मार्च तक निचले क्षेत्रों की ओर पलायन करते हैं। राज्यपाल ने उनकी समस्याओें को सुनकर उनपर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर उन्हें सरकार से चर्चा का आश्वासन दिया।</p>
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