<p>लगभग 50 हजार करोड़ रुपये के कर्ज में डूब चुकी हिमाचल सरकार फिर 1 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेने जा रही है जिसे 14-15 साल में चुकता किया जाएगा। आमतौर पर 10 से 12 साल में कर्ज चुकाने की अधिसूचनाएं जारी होती थीं लेकिन इस बार लंबी अवधि तय की गई है। पिछले महीने भी सरकार ने 1 हजार करोड़ रुपये का ऋण लिया था। करीब एक महीने के अल्पकाल में ही फिर से नया कर्ज लेने की अधिसूचनाएं जारी हुई हैं।</p>
<p>वेब पोर्टल के मुताबिक, हिमाचल सरकार ने केंद्र सरकार से इस संबंध में विशेष मंजूरी लेने के बाद अधिसूचना जारी की है। राज्य सरकार का इस वित्तीय वर्ष का व्यय बजट अनुमानों से काफी ऊपर है। बजट सत्र में इसके लिए विधेयक पारित कर अनुपूरक बजट का प्रावधान किया जाएगा।</p>
<p>राज्य सरकार को कर्मचारियों, पेंशनरों आदि के वेतन-भत्ते देने में खासी दिक्कत आ रही है। विकास कार्यों के लिए भी बजट की कमी आड़े आ रही है। कोरोना काल में तो राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति और भी डगमगा गई है। ऐसे में प्रदेश सरकार ने कर्ज लेने की वार्षिक सीमा के ऊपर चले जाने के बावजूद केंद्र सरकार से भारत के संविधान के अनुच्छेद 293-3 के तहत विशेष अनुमति ली है।</p>
<p>हिमाचल सरकार ने इस कर्ज को लेने के पीछे का कारण विकास कार्यों के लिए व्यय बताया है। यह कर्ज लेने के लिए सरकार ने 500-500 करोड़ रुपये की दो अधिसूचनाएं जारी की हैं। एक अधिसूचना के अनुसार 500 करोड़ रुपये का कर्ज 17 फरवरी, 2035 तक चुका दिया जाएगा। दूसरी अधिसूचना के अनुसार 500 करोड़ रुपये का दूसरा कर्ज 17 फरवरी, 2036 तक चुका दिया जाएगा। ब्याज साल में दो बार 17 फरवरी और 17 अगस्त को चुकाया जाएगा। यानी प्रदेश की अगली पीढ़ी भी किश्तें भरती रहेगी।</p>
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