Follow Us:

ज्वालामुखी अस्पताल में बने क्वार्टर बिना सुविधाओं के कर दिए अलॉट

पी. चंद |

कांगड़ा जिला के ज्वालामुखी सिविल अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए बनाये गए क्वार्टर सुविधाओं के बिना ही स्वास्थ्य विभाग ज्वालामुखी ने अपने अधीन कर लिए हैं। स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए बनाये गए क्वार्टर्स में असुविधाओं का अंबार लगा हुआ है। यहां PWD विभाग ने क्वार्टर तो बना दिए लेकिन क्वार्टर्स में पानी, बिजली और सीवरेज की सुविधा नहीं दी गई है। क्वार्टर्स की हालत इतनी दयनीय है कि यहां रहना तो क्या सांस लेना भी दूषबार है।

इसकी एक बड़ी वजह है अस्पताल में चार दीवारी। चार दीवारी न होने से यहां आवारा पशुओ का तांता लगा रहता है जिससे क्वाटरों के नीचे आवारा पशुओ का मल मूत्र पड़ा रहता है। क्वार्टर्स की खिड़कियों के शीशे भी टूटे हुये हैं।

वहीं, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की मानें तो उनका कहना की विभाग ने क्वार्टर तो अलॉट कर दिए है और इस माह से उनकी आय से पैसे कटने भी शुरू हो जायेंगे। लेकिन क्वॉर्टर्स में किसी तरह की सुविधाएं नहीं हैं। देखने वाली बात यह है की बिना सीवरेज, बिजली आदि के स्वास्थ्य विभाग ने बिल्डिंग को अपने अधीन कैसे ले लिया। 40 पंचायतों को स्वास्थ्य सविधाएं देने वाला ज्वालामुखी का सिविल अस्पताल खुद बीमारी के दौर से गुजर रहा है। पिछले 5 माह से रेडियोलॉजिस्ट का पद खाली पड़ा है जिससे आम जनता को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है।

यूं तो प्रदेश सरकार की ओर से गर्भवती महिलाओं को निशुल्क अल्ट्रासाउंड की सुविधा प्राप्त है लेकिन अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट का पद खाली होने से लोगों को खासकर गर्भवती महिलाओं को प्राइवेट संस्थानों में पैसे देकर अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ता है। इस अस्पताल को 100 बिस्तरों का दर्जा हासिल है लेकिन वर्तमान में मात्र 40 ही लगे हैं। रोगी कल्याण समिति की बैठक में कई अहम मुद्दों पर हामी भरी गई थी लेकिन समस्याएं ज्यों की त्यों मुंह फाड़े खड़ी हैं।

अस्पताल के अंदर की लैब में टेबल पर जुगाड़ लगाकार टेस्ट किय जा रहे हैं। लैब में पानी की समस्या बनी हुई हैष अस्पताल के कमरों की दीवारें सीलन से खराब हो चुकी हैं। माइनर ऑपरेशन थिएटर की हाल देखते ही बनती है। दूसरी ओर एक्स-रे मशीन को एक निजी कंपनी द्वारा लगाया गया है जिसमें 120 रूपये का खर्चा मरीजों से लिया जाता है। लेकिन यह पूरा पैसा कंपनी के खाते में जा रहा है जबकि बिजली उपकरण को ऑपरेट सरकार मुहैया करवा रही है। इसमें भी अस्पताल को आय की जगह आर्थिक नुकसान के दौर से गुजरना पड़ रहा है क्योंकि बीपीएल और आईआरडीपी से संबंध रखने वाले मरीजों को यह असुविधा निशुल्क प्रदान है जबकि कंपनी को इन मरीजों के पैसे भी अस्पताल द्वारा देने पड़ते हैं।

लाइट न होने से चोरों के हौसले बुलंद

अस्पताल  के बाहर लाखों रूपये खर्च कर लगाई गई फ्लड लाइट मात्र शो-पीस बन कर रहे गई है। लोगों द्वारा बार-बार कहने पर अस्पताल प्रसासन द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। अस्पताल में सिक्यूरिटी गार्ड तक नहीं है जिस कारण यहां पर कुछ माह पूर्व मोबाइल और मोटर साइकल भी चोरी हो चुका है।

उधर, बीएमओ सतिंदर वर्मा ने कहा कि रेडियोलाजिस्ट के खाली पड़े पदों पर उच्च अधिकारियों को बता दिया गया है। जल्द ही पदों के भरने की उम्मीद है। सीएमओ गुरदर्शन गुप्ता ने कहा कि एक्सरे मशीन निजी कम्पनी द्वारा लगाई गई है और नॉर्म के हिसाब से पूरा पैसा कंपनी के खाते में जाता है। रेडियोलॉजिस्ट के पद को जल्दी ही भर दिया जायगा।