देश-प्रदेश में बढ़ते अपराधों औऱ बलात्कारों के मद्देनज़र सरकारें सैकड़ों अभियान चलाती होंगी। लेकिन इसके बावजूद भी अपराध औऱ बलात्कार जैसी घटनाएं थमने का नाम नहीं लेती। एक गली में रेप या कोई वारदात होती है तो देशवासी एक तो हो जाते हैं लेकिन सिर्फ कुछ ही समय के लिए। कुछ ही दिनों में पुराना चलन शुरू हो जाता है और हर रोज की तरह लोग जिंदगी व्यतीत करने में लग जाते हैं। ऐसे में फ़िर हम और हमारे देशवासी किसी और घटना का इंतजार करते हैं कि कब देश की सरकारों या पुलिस को कोसा जा सके। लेकिन अपने स्तर पर कुछ करने के लिए आगे नहीं आते। धरना प्रदर्शन से आगे भी कुछ किया जा सकता है।
इसी को देखते हुए हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा शहर में स्थित एक संस्था हिमालयन सेवियर्स ने शानदार मुहिम की शुरुआत की है। संस्था के चार से पांच लोगों ने मिलकर एक मुहिम शुरू की है जिसमें ख़ास तौर पर अपने शहर या गांव को सुरक्षित बनाने का संदेश जुड़ता है। इस संस्था ने अपने स्तर पर मुहिम चलाई है कि 'यदि कोई भी युवती या महिला रात को अंधेरे में घर लौटती है। या उनके शहर में रात को कहीं जाती-आती है या कोई उसे तंग करता है या जबरदस्ती करता है तो वे सेवियर्स को फोन के जरिये बता सकती है। वे या उनकी संस्था का कोई सदस्य तुरंत महिला-युवती से संपर्क करेगा औऱ उसे सुरक्षित रखने में हर संभव मदद करेगा।' जरूरत पड़ी तो इसमें पुलिस का सहारा भी लिया जाएगा।
इसके लिए बकायदा संस्था के अध्यक्ष औऱ बाकी सदस्यों ने फेसबुक पर अपने नंबर भी शेयर किये हैं और अपने फेसबुक वॉल पर भी इसे पोस्ट किया है। अपनी फेसबुक वॉल पर सेवियर्स संस्था ने सिर्फ यही पोस्ट किया है लेकिन जब उनसे बात की गई तो उन्होंने ये मुहिम के कई कारण बताए। उनका कहना है कि समाज के प्रति हर एक व्यक्ति की कुछ जिम्मेदारी बनी है। हर कोई अच्छा नहीं हो सकता लेकिन हर कोई बुरा भी नहीं होता। व्यक्ति अपनी मानसिकता के अनुसार कार्य करता है फिर चाहे वो सेवा हो या कोई अपराध।
देश-प्रदेश में आए दिन महिलाओं-बच्चियों के साथ रेप की वारदातें बढ़ रही है। हर बार फेसबुक वॉल्स में सरकारों की खुताई करने से अच्छा है कि व्यक्ति अपने गांव-शहर को सुरक्षित करें। पुलिस और सरकारों को और भी कई काम हैं लेकिन हर व्यक्ति अपने आस-पास कुछ ग़लत होता तो देख ही सकता है। नजर अंदाज करने से अच्छा है कि उसके खिलाफ लड़ा जाए। बेशक हमारी हार ही क्यों न हो… लेकिन फर्ज से नहीं चूकना चाहिए। हैदराबाद में हुई ताजी घटनाएं निंदनीय है औऱ इसी के चलते संस्था ने मार्च वगैराह निकालने के अलावा कुछ और सोचा है। हमें नहीं पता हमारा गांव या शहर सुरक्षित होगा या नहीं… लेकिन एक अलग कोशिश तो की जा सकती है।
संस्था की इस मुहिम की कांगड़ा में चारों और तारीफ़ हो रही है। लेकिन लोगों के कई सवाल भी हैं। एक मुख्य सवाल तो ये है कि सरकारों और पुलिस ने भी इमरजेंसी नंबर चला रखे हैं… तो फ़िर कौन सा अपराध कम हो गया। तो फ़िर अब इस संस्था की मुहिम का क्या फ़ायदा…?? इस पर संस्था का यही कहना है कि सरकारों द्वारा दिए गए नंबर पर हर दिन हज़ारों कॉल्स आती हैं तो कभी व्यस्त भी जाता है। कभी नेटवर्क में खराबी आती है तो कभी नॉट रिच होता है। सरकारी तंत्र अगर सही होता तो शायद आज अपराधों पर लगाम लगती लेकिन ये दिन प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। हमने सरकारों के ऐसे अभियानों को देखते ही ऐसा विचार किया है लेकिन ये मुहिम छोटे शहर या गांव से शुरू होगी और इसके सफ़ल होने की पूरी संभावना है।
रही पुलिस की बात तो पुलिस हर दिनचर्या के काम में व्यस्त होती है और या फ़िर और भी ढेरों काम है जो पुलिस प्रशासन करता होगा। हमने सिर्फ अपने शहर के लिए ये मुहिम चलाई है… इसमें जरूरत पड़ी तो पुलिस से मुख्य तौर पर मदद ली जाएगी। सेवियर्स संस्था सिर्फ आम जन की सेवा के लिए है किसी गुंडई के लिए नहीं। अग़र किसी जगह अपराध या किसी तरह वारदात का मसला होता है तो पुलिस को पहले आगे किया जाएगा। अगर किसी महिला या युवती को असुरक्षित फील होता है या अपने आस पास कुछ अटपटा सा लगता है तो उसपर विशेष रूप से ये मुहिम रहेगी। इसके साथ ही ब्लड सेवा, गौ सेवा जैसे कामों के लिए उनकी संस्था से संपर्क किया जा सकता है।