मंडी जिले की बल्ह घाटी के गांव स्याह के रहने वाले पाल वर्मा मंडी जिला अदालत में वकालत करते हैं। वह अब तक सबसे कम आयु के जिला परिषद अध्यक्ष बने हैं। इससे पहले डीडी ठाकुर, बलदेव सैणी, खीरा मणी, चंपा ठाकुर और सरला ठाकुर जब अध्यक्ष बने थे तो उनकी आयु 37 साल से अधिक थी जबकि पाल वर्मा इस समय 37 साल के हैं। 2000 से लेकर 2009 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे, जिसमें उन्होंने 2001 में केंद्रीय छात्र संघ के चुनावों में विद्यार्थी परिषद के उम्मीदवार के तौर पर संयुक्त सचिव का चुनाव भी जीता।
2003 में वह मंडी कॉलेज कैंपस अध्यक्ष रहे। 2005 से 2009 तक प्रदेश विश्वविद्यालय में विद्यार्थी परिषद के ओहदेदार रहे। 2008 में उन्होंने प्रदेश विश्वविद्यालय में कैंपस सचिव की जिम्मेवारी संभाली। 2010 से वह मंडी जिला अदालत में प्रेक्टिस कर रहे हैं। 2011 से 2014 तक वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला मंडी अध्यक्ष रहे। 2015 से 2018 तक वह राज्य प्रवक्ता रहे। 2018 से वह राज्य परिवहन अथारिटी के सदस्य हैं।
इस बार जिला परिषद चुनावों में उन्हें जिला की ओर से उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया था मगर उन्होंने चुनाव लड़ा और 1731 मतों के अंतर से कांग्रेस समर्थित योगेश सैणी को हराया जबकि नामांकित डिंपल सैणी तीसरे स्थान पर रहे। बागी होने के बावजूद भी मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने उनकी संगठन के लिए सेवाओं व उनमें नेतृत्व की संभावनाओं को देखते हुए अध्यक्ष पद के लिए अपनी पसंद माना।
उपाध्यक्ष पद पर चुने गए मुकेश चंदेल पहले नाचन की बैला पंचायत से प्रधान भी रहे हैं । वह भाजपा में कई पदों पर रहे हैं। इस समय भी वह मंडल महामंत्री हैं। उनकी पत्नी पंचायत प्रधान चुनी गई है। वह मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के नजदीकियों में रहे हैं। ऐसे में उनका चयन कोई हैरानीजनक नहीं है। 36 में 19 महिला सदस्य जिला परिषद मंडी में चयनित होने के बावजूद भी किसी महिला को अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का पद नहीं मिल पाया है।
तीसरी बार मिली इस वार्ड को जिला परिषद की सरदारी
कभी कुम्मी, कभी डडौर तो इस बार भड़याल नाम से बने इस वार्ड से तीसरी बार जिला परिषद को चेयरमैन मिल गया है। पहले यहां से बलदेव सैणी चेयरमैन रह चुके हैं जबकि पिछली बाद जब चंपा ठाकुर को हटा दिया गया था तो इसी वार्ड जो कुम्मी के नाम से था से सरला ठाकुर को चेयरमैन बनाया गया और अब इसी वार्ड से जीते पाल वर्मा ने यह सौभाग्य हासिल कर लिया है।