मंडी के बल्ह में बनने वाले हवाई अड्डे का विरोध लगातार जारी है। बुधवार को बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति के बैनर तले प्रस्तावित हवाई अड्डा क्षेत्र में 30 जगह मानव श्रृंखला बनाई गई औऱ पुरजोर विरोध किया गया। इस विरोध में ख़ासतौर पर महिला किसान और नौजवान भी शामिल रहे। उन्होंने कहा कि बल्ह की जनता सरकार से जानना चाहती है कि बल्ह बहुफसली क्षेत्र है। यहां नकदी फसलों की आधुनिक तरीके से खेती होती है और इसे मिनी पंजाब के नाम से भी जाना जाता है तो फ़िर ऐसे में हवाई अड्डा बनाकर इस क्षेत्र को क्यों उजाड़ा जा रहा है?
गुस्साए किसानों ने कहा कि सरकार रोजगार नहीं दे रही है और बल्ह का पढ़ा-लिखा बेरोजगार नौजवान नकदी फसलें उगाकर अपना परिवार पाल रहा है। प्रस्तावित हवाई अड्डे से करीब 10,000 की आबादी उजड़ेगी वे कहां जाएगी ? सरकार द्वारा घोषित सर्कल रेट के हिसाब से एक बड़े क्षेत्र के रेट डेढ़ से साढ़े चार प्रति बीघा है यह क्या मजाक है ? वर्तमान में किसान डेढ़ से दो लाख प्रति बीघा टमाटर की अकेली फसल से कमाते हैं जबकि इसके अलावा धान , गोभी ,पालक ,सरसों ,मूली और कई प्रकार की सब्जियां उगाई जा रही हैं इसको क्यों उजाड़ा जा रहा है ?
इस क्षेत्र में किसानों के पास पूरी कृषि मशीनरी है और इसके अलावा निर्माण मशीनरी है, उद्योग हैं, छोटी दुकानदारी है, कुछ बड़ी व्यापारिक गतिविधियां हैं.. यह सब तबाह हो जाएगा। अधिकतर आबादी दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यक की है, सरकारी इन्हें उजाड़ने पर क्यों तूली है? सड़क ,पानी, बाजार, स्वास्थ्य शिक्षा औऱ आधुनिक सुविधाओं से भरपूर है तो फ़िर इस क्षेत्र की जनता को क्यों उजाड़ा जा रहा है ?
कई बार ज्ञापन दिए, धरने दिए, रैलियां की लेकिन यह सरकार किसान विरोधी नीतियों को लगातार आगे बढ़ा रही है। कोविड-19 को मद्देनज़र आज पूरे बल्ह क्षेत्र में जहां पर प्रस्तावित हवाई अड्डा बनना है वहां कोविड-19 के निर्देशों का पालन करते हुए हाथ में पोस्टर लेकर अपने गुस्से का इजहार किया है। हमने मानव श्रृंखला बनाई और सरकार को चेताया है कि किसान एक है। नौजवान और महिला किसान के साथ बिल्कुल कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं और किसी भी हालत में हवाई अड्डे को अपनी जमीन नहीं देंगे। यदि सरकार अब भी नहीं सुनती तो मजबूरन संघर्ष को और तेज करना पड़ेगा ।