मांगों को लेकर मिड डे मील वर्कर्स की हड़ताल का असर हिमाचल में देखने को मिला। उपायुक्त कार्यालय शिमला के बाहर वर्करों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और मांगों पर विचार करने की बात कही। सीटू के बैनर तले आयोजित इस प्रदर्शन में मिड डे मील वर्कर्स ने केंद्र सरकार से उन्हें स्थायी करने या कोई ठोस नीति बनाने की मांग करते हुए कहा कि उन्हें भी अन्य-अन्य कर्मचारियों की तरह छुट्टियों की सुविधा दी जाए।
वर्कर यूनियन की राज्य महासचिव हिमी देवी ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार के कार्यकाल में गत1 10 सालों में महंगाई चरम सीमा पर पहुंच गई है। इस कारण मिड डे मील वर्कर का 1000 रुपये में गुजर बसर करना कठिन हो गया है। सरकार उनके वेतन को 33 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 250 रुपये प्रतिदिन करे। मिड डे मील वर्कर को प्रसूति अवकाश वेतन सहित दिया जाए और साथ ही अन्य अवकाश भी प्रदान किये जायें।
हिमी देवी ने कहा कि अगर मिड डे मील वर्कर के साथ कोई हादसा हो जाता है तो सरकार उसके परिजनों को मुआवजे के तौर पर दो लाख रुपये की राशि प्रदान करे। अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया तो विवश होकर उन्हें अनिश्चित्कालीन हड़ताल पर जाना पड़ेगा जिसके लिए केंद्र सरकार उत्तरदायी होगी।