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साेमवार से इन जिलों में फ‍िर भारी बारिश का अलर्ट

➤ हिमाचल में लगातार बारिश से जनजीवन प्रभावित
➤ तीन जिलों में येलो अलर्ट, पांच में ऑरेंज अलर्ट घोषित
➤ ऊना में रिकॉर्ड 283 फीसदी अधिक बारिश दर्ज



हिमाचल प्रदेश में बारिश के  कहर के बीच हिमाचल के कई स्‍थानों में सूर्यदेव के दर्शन हुए हैं।लेकिन  लगातार जारी है और लोगों को राहत मिलती नहीं दिख रही है। शनिवार से ही प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में भारी बारिश हो रही है, जिससे कई इलाकों में जनजीवन प्रभावित हो गया है। कहीं रुक-रुक कर तो कहीं मूसलधार बारिश के कारण सड़कों, पुलों और जल स्रोतों पर खतरा बढ़ गया है। सोमवार से फ‍िर तीन जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी हुआ है।

मौसम विभाग ने रविवार के लिए शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों में येलो अलर्ट जारी किया है। इसके बावजूद हमीरपुर और मंडी जिलों में तेज बारिश रिकॉर्ड की गई है। बीते दिन भी ऊना, सिरमौर समेत कई जिलों में भारी बारिश देखी गई, जिससे निचले क्षेत्रों में जलभराव और भूस्खलन की घटनाएं सामने आईं।

अब मौसम विभाग ने सोमवार (5 अगस्त) के लिए पांच जिलों ऊना, हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू और सिरमौर में ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया है। इसका मतलब है कि इन क्षेत्रों में भारी बारिश की प्रबल संभावना है। प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने, नदी-नालों से दूर रहने और आपातकालीन स्थितियों में सुरक्षित स्थानों की ओर रुख करने की अपील की है।

सबसे चिंताजनक स्थिति ऊना जिले की है जहां पर इस बार 283 फीसदी सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है। पूरे प्रदेश में 26 जुलाई से 2 अगस्त तक जहां सामान्यत: 64.6 मिमी बारिश होती थी, इस बार 103 मिमी से अधिक बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य से 59 फीसदी ज्यादा है।

इस असामान्य वर्षा के कारण प्रदेश के कई हिस्सों में भूस्खलन, बिजली गिरने और पेड़ गिरने की घटनाएं बढ़ी हैं। सरकारी एजेंसियों और आपदा प्रबंधन विभाग को अलर्ट पर रखा गया है। लोगों को अपील की गई है कि वे मौसम विभाग की चेतावनियों का गंभीरता से पालन करें और अनावश्यक यात्रा से बचें।


हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग NH-707 पर हैवणा के समीप शनिवार तड़के करीब 5 बजे एक बड़ा भूस्खलन हुआ, जिससे यातायात पूरी तरह से ठप हो गया है। घटना में किसी के हताहत होने की सूचना तो नहीं है, लेकिन सैकड़ों वाहन दोनों ओर से जाम में फंसे हैं, जिनमें किसान, मरीज, महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं।

भूस्खलन इतना भीषण था कि पूरा मार्ग मलबे और चट्टानों से भर गया है। यह क्षेत्र पहले से भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील घोषित है, इसके बावजूद प्रशासन और एनएचएआई द्वारा कोई ठोस एहतियात नहीं बरती गई। इस मार्ग से कई किसान अपनी फसलें मंडियों की ओर ले जा रहे थे, जो अब बीच रास्ते में ही फंस गई हैं। वहीं, कुछ एंबुलेंसें भी कई घंटे से फंसी हैं, जिससे बीमार मरीजों को अस्पताल ले जाना संभव नहीं हो पाया

स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन को पहले से दरारों की जानकारी दी गई थी, लेकिन समय रहते कोई कदम नहीं उठाया गया। भूस्खलन के बाद एनएचएआई और स्थानीय प्रशासन की मशीनरी देर से पहुंची, जिससे राहत कार्य में और अधिक विलंब हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि सड़क किनारे की अनुचित कटाई, सुरक्षा दीवारों की कमी और लगातार हो रही वर्षा इस आपदा के प्रमुख कारण हैं।

घटना के बाद प्रशासन ने राहत कार्य तेज करने का दावा किया है। एसडीएम कार्यालय से जारी बयान के मुताबिक, बड़ी चट्टानों को हटाने का काम जारी है, लेकिन इसमें समय लग सकता है। लोगों से धैर्य रखने और अनावश्यक यात्रा से बचने की अपील की गई है।

ग्रामीणों का यह भी कहना है कि यह केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि इंसानी लापरवाही का भी नतीजा है, जिसकी समय पर सुध ली जाती तो यह हालात टल सकते थे।