पटवारियों के परीक्षा करवाने में कांगड़ा जिला प्रशासन पूरी तरह फ़ेल रहा है। कांगड़ा के धीरा में कई अभ्यर्थी परीक्षा नहीं दे पाए और उन्होंने खूब हंगामा किया। ऐसे में पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठे थे और अभ्यर्थियों ने इसपर भारी रोष जताया था। साफ तौर पर कहें तो जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते ये सारा मामला हुआ है, जबकि पुलिस ने अभ्यर्थियों के खिलाफ केस दर्ज लिया।
तर्क है कि OMR शीट फाड़ने पर ये सारा बवाल हुआ जिसके चलते 6 अभ्यर्थियों पर केस दर्ज किया गया है। लेकिन हैरानी इस बात की है कि जिला प्रशासन और स्कूल प्रबंधन की लापरवाही न तो सरकार को दिख रही है और न ही पुलिस प्रशासन को। मुख्यमंत्री भी यही कहते हैं कि एक जगह श़िकायत मिली थी लेकिन उसका निपटारा कर दिया गया है। लेकिन क्या ये निपटारा अभ्यर्थियों के खिलाफ केस दर्ज करने का था। न तो जिला प्रशासन और न ही स्कूल प्रबंधन पर इस बारे में कोई कार्रवाई हुई।
एक तो वैसे ही बेरोजगार अभ्यर्थी किसी तरह पैसे जोड़कर पहले तो पेपर की भारी फ़ीस भरते हैं और फ़िर जब पेपर देने पहुंचते हैं तो उन्हें पेपर तक नहीं मिलता। ऐसे में अभ्यर्थियों का गुस्साना तो लाज़मी नज़र आता है। गुस्से में अभ्यर्थियों ने OMR को तो फाड़ा है इसमें कोई दो राय नहीं… लेकिन उनकी गुस्से की वज़ह बढ़ती बेरोजगारी और जिला प्रशासन की नक्कमी व्यवस्था भी थी। अभ्यर्थियों पर तो झट से कार्रवाई हो गई और केस दर्ज हो गया… लेकिन जिस प्रशासन की ऐसी लचर व्यवस्था थी उसपर कोई सरकार ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की।
ये कोई पहली दफ़ा नहीं जब कांगड़ा जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। कहीं दो अभ्यर्थियों को एक ही रोल नंबर मिलने की बात भी सामने आ रही है। इससे पहले भी पुलिस भर्ती परीक्षा में जिला प्रशासन की साख़ पर बट्टा लग चुका है। लेकिन अफ़सोस है कि सरकार न जाने क्यों जिला प्रशासन और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं करती। या यूं कहें कि कुछ चाहने वालों पर सरकार का बस नहीं…!! कहा तो ये भी जा रहा है कि आख़िरकार सरकार किस मुंह से जिला प्रशासन और अधिकारियों को कुछ कहे… क्योंकि वे सब तो इन्वेस्टर मीट में व्यस्त थे। अक्टूबर माह से सिर्फ मीट की तैयारियां ही चल रही थी… तो ऐसे में परीक्षा के दौरान प्रशासन से ग़लती होना आम बात है।
लेकिन अगर आम बात है तो वे अभ्यर्थी भी निर्दोश करार दिये जाने चाहिए जिन्होंने गुस्से में OMR शीट को फाड़ा। पटवारी परीक्षा में उन्हें आख़िर कार मिला तो क्या… सिर्फ पुलिस केस। पेपर भरा तो दे नहीं पाए और प्रशासन की गलती पर सवाल उठाए तो मिली ये सज़ा। ख़ैर क्या सही है या क्या ग़लत ये तो सरकार और कोर्ट के हाथ में है। मौजूदा वक़्त में पेपर कैंसिल न होने की बात कही गई है लेकिन जो अभ्यर्थी पेपर नहीं दे पाए क्या उनका पेपर दोबारा लिया जाएगा, उनके पैसे वापस मिलेंगे… या फ़िर क्या उन्हें जेल की ही हवा भी ख़ानी पड़ेगी? देखें वीडियो—