पौंग बांध विस्थापितों का मुद्दा उलझता जा रहा है। इसी बीच बांध बनने के बाद विस्तापिथ का शिकार हुए लोगों ने अमरण अनशन पर बैठने का निर्णय लिया है। इस संबंध में मंगलवार को सोसाइटी की एक बैठक भी हुई, जिसमें विस्थापितों ने भारी संख्या में हिस्सा लिया। 28 नवंबर को ये अमरण अनशन शुरू होगा।
पौंग बांध विस्थापित बहुउद्देशीय मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा कि आज 47 साल हो गए लेकिन उन्हें आज तक इंसाफ नहीं मिला। पौंग बांध विस्थापितों के बच्चे दर-दर ठोकरें खा रहे हैं। खाने को रोटी नहीं… रहने को मकान नहीं और कमाने को नौकरी नहीं। आखिर हम जाएं तो जाएं कहां। उन्होंने कहा कि कई सरकारें आईं और कई सरकारे गईं, लेकिन हमें आज तक इंसाफ नहीं मिला। सब वोट की राजनीति करते हैं और गरीबों के हक के लिए किसी ने आवाज नहीं उठाई।
उन्होंने कहा जो पौंग बांध विस्थापित पौंग बांध के किनारे फसल उगाते थे उन्हें भी पौंग बांध प्रशासन ने बंद कर दिया। राजा का तालाब डीसी आर एंड आर कार्यालयों में अश्वनी अवस्थी के साथ सभी लोग मरण व्रत पर बैठेंगे और कुछ हुआ तो इसकी जिम्मेवार प्रशासन और सरकार की होगी। इतने फैसले हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने पौंग बांध विस्थापितों के हक के लिए दिए लेकिन उन पर आज तक कोई भी कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई।
उन्होंने मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश जयराम ठाकुर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि पौंग बांध विस्थापितों का हक दिलाया जाए। उनकी समस्या का शीघ्र समाधान किया जाए… नहीं तो हम विवश होकर पौंग बांध का पानी रोक देंगे जो राजस्थान के लिए जाता है। इसकी जिम्मेवारी पौंग बांध विस्थापितों की नहीं होगी सरकार खुद जिम्मेवार होगी।