प्रदेश भर में निजी बस ऑपरेटर अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। ऐसे में हिमाचल के अधिकांश हिस्सों में यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक स्कूल और क़ॉलेज जाने वाले बच्चों को देरी से पहुंचना पड़ा। कई इलाकों में तो सरकारी बसों के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा औऱ बसें भी पूरी तरह ओवरलोडिड दिखाई पड़ी।
ग्रामीण क्षेत्र को लोगों की इसलिए भी समस्या ज्यादा है क्योंकि एचआरटीसी की बसों की सुविधा अधिकांश क्षेत्रों में नहीं है। वहीं, बसों की हड़ताल का लाभ टैक्सी ऑपरेटर भी उठा रहे हैं और सवारियों से मनचाहे दाम वसूल रहे हैं। कुल्लू में तो 150 बसों के पहिये थम गए हैं, जबकि शिमला जैसे इलाकों में सरकारी बसे खचाखच भरी दिखाई दे रही हैं।
निजी बस ऑपरेटर यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष राजेश पराशर ने कहा कि अगर सरकार ने मांगें नहीं मानती है तो वे राज्य सचिवालय के बाहर आमरण अनशन कर देंगे। इस दौरान आत्मदाह जैसा कठोर कदम किसी ने उठाया तो इसकी जिम्मेवारी सरकार की होगी। फिलहाल अभी के लिए हड़ताल गैर राजनीतिक और शांतिपूर्ण होगा।
ग़ौरतलब है कि निजी बस ऑपरेटरों का क़हना है कि सरकार ने पिछले 5 सालों में किराया दर में बढ़ोतरी नहीं की, जबकि डीज़ल का दाम आसमान छू रहा है। पूर्व सरकार के दौरान किराये में 30 फीसदी बढ़ोतरी की गई थी, लेकिन उस समय डीज़ल का दाम 46 रुपये था। लेकिन अब 74 रुपये के हिसाब से डीज़ल मिल रहा है और निजी बस ऑपरेटरों को इसमें जरा सी भी बचत नहीं हो रही है।