प्राइवेट स्कूलों में भारी फीसों को लेकर छात्र अभिभावक मंच का प्रदर्शन शुक्रवार को भी जारी रहा। कई दिनों से शिमला की अलग-अलग जगहों में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर न ही सरकार ग़ौर कर रह ही है और न ही प्रशासन। हालांकि, सरकार में शिक्षा मंत्री जरूर हर बार कहते नज़र आते हैं कि सरकारी स्कूलों को अपडेट किया जाएगा, जिससे प्राइवेट स्कूलों में लोगों को भारी फीस नहीं देनी पड़ेगी। लेकिन, अब जब लोगों ने प्राइवेट स्कूलों की लूट के खिलाफ जंग छेड़ी है तो सरकार औऱ प्रशासन कोई भी इसपर ग़ौर नहीं कर रहा।
शुक्रवार को अभिभावक मंच शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज से भी मिला और प्राइवेट स्कूलों में फीसों को निर्धारित करने के लिए पॉलिसी बनाने की मांग उठाई। मंच के सदस्यों ने कहा कि शिमला के स्कूलों में पूरी तरह लूट मची है। इनकी लूट में स्कूल टैक्सी संचालक अपने रेट बढ़ाकर आग में घी डा रहे हैं। प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों की ऐसी मनमानी एकमात्र 'शिक्षा माफिया' है। हालांकि, इस पर शिक्षा मंत्री ने अभिभावकों को उनकी मांगों पर काम करने का आश्वासन भी दिया।
प्राइवेट स्कूलों पर लगाए आरोप
मंच की सदस्य तनुजा थाप्टा ने कहा है कि स्कूल कार्यक्रमों में छात्रों और अभिभावकों से भारी लूट की जा रही है। कुछ भी चीज़ों की कीमत MRP से भी चार गुणा ज्यादा ली जाती है। एंटरेंस प्रोसेस में भारी धांधली की जाती है और हजारों अभिभावकों से लाखों रुपये की लूट प्रोसपेक्टस के जरिये होती है।
उन्होंने मांग की है कि स्कूलों को एडमिशन के हिसाब से ही प्रॉस्पेक्ट्स बेचने की इज़ाज़त दी जाए। स्कूलों में शिक्षा के अधिकार कानून के तहत स्कूल मैनेजमेंट कमेटी का गठन किया जाए, प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा के अधिकार कानून के तहत 25 प्रतिशत सीटें गरीब छात्रों के लिए आरक्षित की जाएं और सिंगल गर्ल चाइल्ड आदि को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाए।
ग़ौरतलब है कि प्राइवेट स्कूलों में भारी फीस और कार्यक्रमों के जरिये छात्रों से लूट पर मंच ने कई दफा प्रदर्शन किया। शिमला ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों में के हालात कुछ ऐसे ही नज़र आते हैं, लेकिन न तो इन्हें कोई कुछ बोलने वाला है और न ही इन्हें कोई रोकने वाला…??