<p>हिमालयन क्षेत्र पहाड़ी राज्यों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए प्रहरी होने के साथ ही जीवन उपयोगी भी है। देश भर की शुद्ध हवा, पानी और कृषि हिमालय पर निर्भर करती है। हिमालय की तलहटी में बसे क्षेत्रों के अलावा आज देश भर में जीविका के लिए विज्ञान और नई तकनीक क्या कर सकती है। इसी कड़ी में शिमला में दूसरे हिमाचल प्रदेश साइंस कांग्रेस का आयोजन किया जा रहा है।</p>
<p>हिमाचल प्रदेश स्टेट कॉउन्सिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा आयोजित इस साइंस कांग्रेस का थीम साइंस एंड टेक्नोलॉजी फ़ॉर सस्टेनेवल लाइव हुड इन इंडियन हिमालयन रीजन रखा गया है। इसमें देश भर के विभिन्न क्षेत्रों के 500 से अधिक जानकार प्रतिनिधि भाग ले रहे है। जो कृषि, बागवानी, पर्यावरण, वन, बॉटनी, बायो केमिस्ट्री और बायोटेक्नोलॉजी आदि क्षेत्रों में महारथ हासिल किए हुए है। दो दिनों तक इन विषयों पर चर्चा की जाएगी ताकि इन क्षेत्रों में जीवनोपार्जन को लेकर संतुलन कैसे बनाया जा सकता है।</p>
<p>हिमाचल प्रदेश साइंस कांग्रेस के उदघाटन अवसर पर मुख्य अतिथि पदम भूषण डॉ वीके सारस्वत ने बताया की हिमालयन क्षेत्र का अपना महत्व है। हिमालयन रीजन की कई समस्याएं है साइंस का काम है कि समाज, आर्थिकी और जीवन में सामंजस्य स्थापित करना है ताकि मनुष्य जीवन को आसान बनाया जा सके। जिसके लिए हिमालयन क्षेत्र से जो दोहन हो सकता है किया जाए लेकिन ये विज्ञान कि विधि से होना चाहिए ताकि प्रकृति और समाज में संतुलन बना रहे।</p>
<p>इस मौके पर दिल्ली यूनिवर्सिटी जूलॉजी विभाग के प्रोफ़ेसर डॉ रूप लाल ने कहा मणिकर्ण और ततापानी के गर्म पानी के चश्मों को सुरक्षित रखना जरूरी है। ऐसा न हो कि ये भी विकास की भेंट चढ़ जाएं।</p>
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