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साधन और पैसे के आभाव से अजय शर्मा का सपना रहा अधूरा, न्यूटन के तीसरे नीयम को दी थी चुनौति

पी. चंद |

पिछले 36 सालों से न्यूटन के तीसरे नियम की खामी को चुनौती दे रहे अजय शर्मा का इसको मान्यता करवाने का सपना पूरा नहीं हुआ है। देश विदेश में विज्ञानियों ने इनकी चुनौती को सही तो माना लेकिन मान्यता नहीं मिली। अजय शर्मा 31 मार्च को सेवानिवृत्त होने वाले है। इससे पहले उनका सपना भारत और विज्ञान को देने का था जो पूरा नहीं हुआ। जिसका मलाल उन्हें ज़िंदगी भर रहेगा।

अजय शर्मा कहते है कि अब 10 लाख की दरकार है सरकार यदि चाहे तो सीएसआईआर में ले जाकर इस शोध को सार्थक बना सकती है। जो नोबल प्राइज तक का हक़दार है। उनके पास न तो इतने साधन बचे हैं, न ही पैसा की अब इस चुनौती को आगे ले जा सकें। उनके मुताबिक़ न्यूटन का सिद्धांत वस्तु के आकार की अनदेखी करता है। 335 वर्ष  पुराने तीसरे नियम के अनुसार क्रिया और प्रतिक्रिया  हमेशा विपरीत और बराबर होते हैं। लेकिन अजय के अनुसार कुछ हालातों मे क्रिया और प्रतिक्रिया के बराबर, कम और ज़्यादा भी हो सकती है।