केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि सुधार बिल को लेकर किसान उलझन में पड़ गए हैं। किसानों को विधेयक के फायदे और नुकसान का पता नहीं चल पा रहा है। बिल को लेकर विपक्षी राजनीतिक दल एयर किसान संगठन विरोध कर रहे हैं, इसलिए सरकार को बिल के फायदे और नुकसान के बारे में किसानों से बात करनी चाहिए ताकि किसानों की उलझन दूर हो सके। सरकार चौथा विधेयक लाकर सभी कृषि और बागवानी के उत्पादों पर एमएसपी निर्धारित करें जिससे किसानों को फायदा मिल सके। शिमला में प्रदेश फल सब्जी औऱ फूल उत्पादक संघ ने सरकार यह मांग की है।
संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा कि बिल में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की बात की गई है जिससे हिमाचल प्रदेश में कोई फायदा नहीं होगा। क्योंकि हिमाचल प्रदेश में जोत बहुत कम है। 2 या 3 बीघा जमीन पर किसान खेती करता है। अगर किसान किसी कंपनी के साथ 5 साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट करता है तो उसके कंपनी से दवाई, खाद्य और मूल्य निर्धारण भी कंपनी करेगी। ऐसे में तो किसान को नुकसान होगा।
कृषि उत्पाद और वाणिज्य विधेयक को लेकर देश बहुत रोष में हैं। क्योंकि इस विधेयक के बाद एमएसपी खत्म होने की आशंका है। देश में केवल 23 उत्पाद पर एमएसपी मिलता है। बागवानी का कोई भी उत्पाद न्यूनतम समर्थन मूल्य में नहीं आता है। प्रदेश फल सब्जी और फूल उत्पादक संघ ने सरकार से मांग की है कि चौथा बिल लाया जाए जिसमें कृषि और बागवानी के सभी उत्पादों को एमएसपी के तहत लाया जाए ताकि किसानों के उत्पाद को सही दाम मिल सके। सरकार अमेरिका एयर ब्रिटेन तरह ही नीति भारत मे लागू करना चाह रही है जिसमें किसानों की सहमति जरूरी है क्योंकि अमेरिका और ब्रिटेन में भी कृषि नुकसान में है।