लंबी जद्दोजहद के बाद स्मार्ट सिटी की पंक्ति में आए राजधानी शिमला के लिए मात्र 100 करोड़ ही मिला है। लेकिन उसको भी कुछ लोग डकार लेना चाहते हैं और जिसकी शुरुआत भी हो चुकी है। दरअसल, स्मार्ट सिटी के काम में अभी तक क़रीब आधा दर्जन स्टॉफ ही नियुक्त किया है। बाकि स्टॉफ की भर्ती अभी होनी है। मुख्य सचिव ने स्मार्ट सिटी के लिए 24 पद सृजित किए, लेकिन इसमें अभी तक 11 पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू हुई है। जिसके लिए एचपीएसईसी के माध्यम से आउटसोर्स पर भरने की मांग की गई थी।
HPSEC ने ये काम मध्यप्रदेश की रत्न सिक्यूरिटी सर्विस को दिया। अब ख़बर आ रही है कि बिना विज्ञापन दिए गुपचुप तरीक़े से 24 में से 11 पद भरने की पूरी तैयारी कर ली गई है। कंपनी के साथ सांठगांठ करके नियमों को ताक पर रखकर कुछ चुनिंदा लोग अपने चेहतों को पिछले दरवाज़े से भर्ती करने की फ़िराक में हैं। तीन लोगों की अयोग्य कमेटी ने 11 अयोग्य लोग भर्ती कर लिए है जिसकी प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है। ऐसे लोग काम नहीं बल्कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर बोझ बन जाएंगे।
ऐसी नियुक्तियों के लिए नियमित स्टॉफ के अधिकारियों की कमेटी बनती है जो बाकायदा साक्षात्कार कर नियुक्तियां करती है। लेकिन इसकी भी अनदेखी यहां की गई हैं और इन नियुक्तियों में जो कमेटी बनी उसमें दो माह पहले आउटसोर्स पर रखी एल महिला कर्मी को भी शामिल कर लिया गया। बताया जा रहा है कि उसका भी सगा रिश्तेदार भर्ती कर लिया गया है। ऐसी भी खबरें हैं कि 24 पद भी अपनों को रेबडियों की तरह बांटने की तैयारी चल रही हैं। वैसे भी 2800 करोड़ स्मार्ट सिटी शिमला का प्रोजेक्ट घटकर 100 करोड़ रह गया हैं उसमें भी धांधलियां होंगी तो पहाड़ों की रानी शिमला के स्मार्ट सिटी बनने का सपना कैसे पूरा होगा?