हिमाचल प्रदेश में जगह-जगह से लोग लगातार चुनाव बहिष्कार की बात कह रहे हैं। वज़ह सिर्फ एक ही सामने आ रही है कि सुविधाएं। ख़ास तौर पर सड़क सुविधा ने मिलने के चलते लोगों में भारी रोष है और लोग चुनाव के खिलाफ हो चुके हैं। इसी कड़ी में अब शिमला जिला के टिक्कर गांव के 250 लोगों ने चुनावों में NOTA दबाने की बात कही है।
इन ग्रामीणों का आरोप है कि 1990 से वह सड़क की मांग कर रहे हैं, लेकिन सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव के दौरान आश्वासन देकर उसके बाद उनकी कोई सुध नहीं लेते। इसी तरह गांव में प्राथमिक और माध्यमिक दो स्कूल है जो दिखावा के लिए खोले गए है। उन का कहना है कि लोगों को 10 किलोमीटर पैदल सफर तय कर गांव पहुंचना पड़ता है। प्राथमिक और माध्यमिक पाठशाला में अध्यापकों की कमी के कारण छात्रों को पलायन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
गांववासियों ने कहा कि चुनावों के दौरान सड़क निर्माण के लिए सर्वेक्षण का काम भी होता है, लेकिन चुनाव नतीजों के बाद फिर वापस उसी स्थिति में आ जाते हैं। लोगों ने बताया कि 6 साल पूर्व लोक निर्माण विभाग के नाम लोगों ने अपनी भूमि की ताकि मार्ग निर्माण में दिक्क्त न आये। उनका यह भी कहना है कि ग्रामीणों के साथ सौतेला एवं दोहरे मापदंड अपनाए जा रहे हैं। क्षेत्र में अब तक पांच जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण हो चुका है। जबकि दो का निर्माण किया जाना है। इन जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए वन स्वीकृति आसानी से मिल जाती है, लेकिन ग्रामीणों के लिए सड़क निकालना हो तो वन स्वीकृति नहीं।