छात्र संघ एसएफआई ने राष्ट्रीय आह्वान पर सरकार के द्वारा शिक्षा में 18% GST लगाने के फैसले के खिलाफ औऱ छात्रो की छात्रवृत्ति को बहाल कराने के लिए शिमला जिला उपायुक्त कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इसके साथ ही प्रदेश के कई स्थानों पर प्रदर्शन जारी रहा। संघ का मानना है शिक्षा मानव विकास और राष्ट्र निर्माण की महत्वपूर्ण कड़ी है इसलिए इसे भारतीय संविधान के द्वारा मौलिक अधिकार के रूप में अपनाया गया है।
शिक्षा राज्य की महत्वपूर्ण और अनिवार्य जिम्मेदारी होने के चलते पहले इस पर किसी भी प्रकार का कर नहीं होता था। उसके पीछे वजह यह भी थी कि छात्र संगठन GST के आते ही शिक्षा को GST मुक्त करने की मांग कर रहे थे। लेकिन इस बार सरकार कोरोना महामारी के चलते पैदा हुए आर्थिक संकट का बहाना लगाकर शिक्षा को महंगा करने पर तुली हुई है। लेकिन SFI इस छात्र विरोधी फैसले को हरगिज लागू नहीं होने देगी।
संघ ने रखी मांगें…
- शिक्षा में 18% GST के फैसले को शीघ्र वापिस लिया जाए।
- छात्रो को मुफ्त मास्क और सेनेटाइजर उपलब्ध कराए जाए।
- सभी तरह की छात्रवृत्ति शीघ्र बहाल हो
- सरकार सभी छात्रों के तीन महीनों की फीस माफ करें। छात्रों के तीन माह के होस्टल चार्जेज, कमरों के किराए सरकार अदा करे।
- फीस वृद्धि का फैसला वापस लिया जाए और परीक्षा फॉर्म में कोई लेट फीस नहीं ली जाए।
- सभी छात्रों को राहत के रूप में विशेष भत्ता दिया जाए।
- कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तर की परीक्षाओ के शुरू होने से पहले छात्रो अध्यापको तथा अन्य कर्मचारियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाए
संघ का मानना है कि कोरोना महामारी के चलते पैदा हुए आर्थिक संकट ने प्रदेश के कामगारों, किसानो, बागवानों और छोटे दुकानदारों की कमर तोड़ दी है, लेकिन प्रदेश सरकार छात्रों को आर्थिक सहायता जैसे छात्रवृत्ति व विशेष भत्ता देने के बजाय फीस बढ़ोतरी करके तथा शिक्षा पर GST लगाकर प्रदेश की जनता को कंगाल करने पर तुली है।