विकास के तमाम दावों के बीच आज भी कई क्षेत्र विकास से कोसों दूर हैं। स्कूल और स्वास्थ्य सेवाएं तो दूर की बात हैं, यहां जीवन रेखाएं कही जाने वाली सड़कें भी नहीं पहुंच पाई है। शिलाई विधानसभा क्षेत्र के तहत कई गांव के 5 से 10 किलोमीटर पैदल सफर तय करना पड़ता है। कोई बीमार हो जाए तो गांव के लोग मरीज को कंधों पर उठा कर सड़क तक पहुंचते हैं। कभी देर हो जाए तो मरीज आधे रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।
शिलाई क्षेत्र के दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां आजादी के 7 दशक बाद भी विकास की लो जल नहीं सकी। इन गांवों में स्वस्थ सेवाओं के लिए डॉक्टर और एम्बुलेंस, शिक्षा के लिए अध्यापक और किसानों की सहायता के लिए विभागों के लोग नहीं पहुंचते। ऐसे गांवों में मरीजों और गर्भबती महिलाओं का जीवन इस बात पर निर्भर करता है कि उस समय गांव में कितने लोग मौजूद हैं। यही लोग मरीज को सड़क तक पहुंचा पाते हैं तो जीवन की संभावना रहती है… नहीं तो सब राम भरोसे…।।
ग्रामीनों का कहना है कि आजादी के बाद भी गिरिपार में एक यह गांव खुइनल ऐसा है जो सड़क सुविधा से नहीं जुड़ सका है। इसके चलते लोगों को कई प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। एक ओर जंहा ग्रामीण सारा सामान कंधो पर उठा के लाते-ले जाते हैं, वहीं जब कोई ग्रामीण बीमार हो जाये तो उससे डंडी से कपड़ा बांध कर लगभग 5 किलोमीटर का सफर तय कर सड़क तक पहुंचते हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि क्षेत्र के नेताओ की नज़रअंदाजी के चलते यह गांव आज भी आदिवासी सा जीवन जीने को मजबूर हैं। उन्होंने बताया कि गांव में लगभग दो दर्जन से अधिक घर है लेकिन मूलभूत सुविधाएं न होने से लोग यहां से पलायन को मजबूर हैं। गांव के लोगों ने यह भी कहा कि यहां के दोनों दलों के विधायक से कई बार इस बारे में शिकायत कर चुके हैं। यही नहीं दौरे में आए सीएम जयराम ठाकुर को भी ज्ञापन दिया था पर समस्या ज्यों की त्यों बनी है।
आज भी स्कूली बच्चों वह बुजुर्गों को पैदल सफर करके अपना घर पहुंचना पड़ रहा है। एक और केंद्र सरकार देश आगे बढ़ रहा के बड़े-बड़े दावे भाषणों में लोगों को सुना रहे हैं, लेकिन धरातल पर अगर विकास की बात की जाए तो आज भी कई गांव ऐसे हैं जो सड़क जैसी सुविधाओं से महरूम है।