छात्र अभिभावक मंच ने शिमला के झंझीड़ी में बस हादसे में मारे गए निजी स्कूल के दो बच्चों और परिवहन निगम के चालक की मौत पर रोष स्वरूप डीसी ऑफिस शिमला के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। इसके बाद मंच का प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त शिमला और पुलिस निदेशक शिमला से मिला तथा ऐसी दर्दनाक दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए एक ज्ञापन सौंपा।
मंच के संयोजक ने कहा है कि पिछले कुछ सालों में शिमला शहर में बालूगंज क्रॉसिंग, जतोग औऱ झंझीड़ी में तीन दर्दनाक हादसे हुए हैं जिनमें सभी में स्कूली बच्चों की जान गई है। इन हादसों के बावजूद शिमला जिला प्रशासन ने बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। इन हादसों के कारण स्कूली बच्चे सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं क्योंकि बच्चों की सुरक्षा के कोई भी पुख्ता इंतजाम आज तक नहीं हो पाए हैं।
स्कूली छात्रों की सुरक्षा और सेफ्टी को लेकर उच्चतम न्यायालय ने 15 अप्रैल 2018 को कुछ दिशानिर्देश जारी किए थे लेकिन आज तक वे लागू नहीं हुए। इसके तहत निजी स्कूलों को अपनी बसें चलाने और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे। सीबीएसई की गाइडलाइनज़ के अनुसार किसी भी निजी स्कूल को तब तक मान्यता नहीं मिल सकती है जब तक कि उनकी अपनी बसें न हों। इस निर्णय को लागू न करने से स्कूली छात्रों की सुरक्षा और सेफ्टी हमेशा दांव पर रहती है।
उन्होंने उपायुक्त शिमला से अनुरोध किया है कि जिला प्रशासन, पुलिस विभाग,लोक निर्माण विभाग, नगर निगम शिमला और परिवहन विभाग के मध्य समन्वय स्थापित किया जाए तथा हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। उपायुक्त को दिए गए ज्ञापन में मंच ने 11 सुझाव दिए हैं जिन पर उपायुक्त ने कार्य करने का भरोसा दिया है।