हिमाचल के सभी अस्पतालों में पूरी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं। प्रदेश सरकार ने हेल्थ कार्ड औऱ आयुष्मान स्कीम के जरिये प्रदेश के हजारों लोगों को फायदा दिया है। अग़र फ़िर भी किसी ग़रीब परिवार को इलाज के लिए मदद चाहिए तो वे मुख्यमंत्री राहत कोष में आवेदन कर सकता है। ये बाते और दावे हैं जयराम सरकार में स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार के…।। लेकिन असली में लोगों को इनका कितना फायदा मिलता है ये आपको बताते हैं…
प्रदेश में अस्पतालों की हालातों और स्वास्थ्य सुविधाओं से तो जनता पहले ही वाक़िफ हैं। लेकिन अब सरकार के हेल्थ कार्ड ग़रीब परिवारों के काम नहीं आ रहे। ताजे मामले में मुख्यमंत्री के गृह जिला और सुंदरनगर विधानसभा क्षेत्र की रहने वाली नर्वदा देवी पत्नी लाभ सिंह निवासी देरडू (कपाही) का परिवार बिन पैसे नर्वदा की हार्ट सर्जरी नहीं करवा पा रहा। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल IGMC में जब वे जाते हैं तो वहां पता चलता है कि सर्जरी में उनका आयुष्मान कार्ड इस्तेमाल नहीं होगा। डॉक्टर ने उनकी सर्जरी का एस्टिमेटिड खर्चा क़रीब 4 लाख बताया है, जिसका बंदोबस्त वे नहीं कर सकते।
पति लाभ सिंह ने कहा कि वे एक छोटी से प्राइवेट जॉब करते हैं और उसके सहारे उनका घर का गुजर बसर मुश्किल से चलता है। ऐसे में इतना खर्चा कर पाना उनके बस में नहीं। आयुष्मान कार्ड के तहत भी मुफ़्त इलाज का कोई प्रावधान नहीं और अग़र इसका फायदा ही नहीं है तो इसे बनाया ही क्यों। इस मसले पर उन्होंने स्थानीय विधायक से भी बातचीत की, लेकिन अभी तक कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला है। ऐसे में उन्होंने अब मुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगाई है और पत्नी की जान बचाने की भीख मांगी है।
उनका कहना है कि उनकी पत्नि की तबीयत दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है औऱ जल्द उनकी समस्या पर ग़ौर करें। साथ ही सामाजिक संस्थाओं से भी मदद की गुहार लगाई और कहा कि उनकी इलाज में मदद करें।
ग़ौरतलब है कि अक्सर प्रदेश में ऐसे मामले सामने आते रहते हैं जहां लोग पैसों की तंगी से इलाज नहीं करवा पाते। सरकार में स्वास्थ्य मंत्री ने मुख्यमंत्री राहत कोष से पैसे देने के लिए आवेदन की बात तो 2018 में कही थी लेकिन वे अब श़ायद हवा हवाई हो गई। एक तो वैसे ही प्रदेश में कुछ ही परिवारों के आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं और ऊपर से उन्हें भी अग़र इससे मदद नहीं मिल रही है तो वे किसके पास जाएं।
लिहाज़ा, आयुष्मान कार्ड के तहत बीमारी और सर्जरी का अपना एक मैन्यू है जिसके हिसाब से 1350 बीमारियों में कार्ड इस्तेमाल होता है। लेकिन अग़र किसी के पास इलाज के लिए पैसे न हो, तो उसका आयुष्मान कार्ड पर गुस्सा होना लाज़मी है। कहा तो ये भी जा रहा है कि 5 लाख से कम के सभी बीमारियों के इलाज इस कार्ड में संभव है और हार्ट की सर्जरी का इलाज भी हो सकता है। लेकिन अस्पताल में इसका इलाज क्यों नहीं हो रहा… ये तो प्रबंधन ही बता सकता है?