चंबा, कांगड़ा, मंडी, हमीरपुर और ऊना जिलों के गंभीर रोगों से ग्रस्त लोगों के इलाज के लिए टांडा अस्पताल में बनाया गया सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक पूरी तरह बंद हो गया है। हार्ट, कैंसर, न्यूरो जैसी गंभीर बीमारियों के रोगियों की सर्जरी अब टांडा में नहीं हो रही है। दिल, न्यूरो और कैंसर जैसे गंभीर रोगों से ग्रस्त इन जिलों के लोग अब निजी अस्पतालों में लुटने के मजबूर हो गए हैं। गरीब मरीज निजी अस्पतालों में भी नहीं जा पा रहा और मरने को मजबूर है। इन बीमारियों के लिए हिमकेयर स्वास्थ्य बीमा का कार्ड अधिकतर निजी अस्पतालों में नहीं चलते हैं। ऐसे में मरीज़ों और तीमारदारों को काफ़ी दिक्कतें आ रही हैं।
टांडा अस्पताल के सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में कैंसर रोग के इलाज के लिए स्थापित आनकालॉजी यूनिट, शरीर में नसों से संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए बनी न्यूरोलाजी यूनिट, सिर की सर्जरी वाली न्यूरोसर्जरी यूनिट, दिल के रोग के लिए कार्डियोलॉजी, गेस्ट्रोइंट्रोलाजी, एंडो क्राइनालॉजी सभी यूनिट बंद गई हैं। इन यूनिट के डॉक्टरों को पुराने ब्लॉक में सिर्फ मरीजों का सामान्य चेकअप करने के लिए बिठाया गया है। मरीजों का डॉक्टर चेकअप तो कर लेते हैं लेकिन उनकी सर्जरी संबंधी इलाज नहीं हो पाता है।
सर्जरी से संबंधित सुपर स्पेशलिटी की मशीने सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में लगी हैं जहां पर अब कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा है। नाम न छापने की शर्त पर कुछ डाक्टरों ने बताया कि सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक को बंद करने की जरूरत नहीं थी। वहीं, टांडा अस्पताल के प्राचार्य डॉ. भानु अवस्थी ने बताया कि कोरोना के गंभीर मरीजों को बचाने के लिए सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक को इस्तेमाल किया जा रहा है। ब्लॉक में ओपीडी बंद है लेकिन पुराने भवन में सुपर स्पेशलिटी के डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
कोरोना से पहले होता था अच्छा इलाज
पिछले वर्ष कोरोना से पहले इन सुपर स्पेशिलिटी ब्लॉक में दूसरे अस्पतालों से गंभीर मरीज रेफर किए जाते थे और यहां पर बेहतर इलाज होता था। लेकिन, कोरोना संक्रमण फैलने के बाद धीरे-धीरे पूरे सुपर स्पेशिलिटी ब्लॉक को कोरोना वार्ड में बदला जा रहा है। वर्तमान में अब सुपर स्पेशिलिटी ब्लॉक में एक भी ओपीडी नहीं चल रही है।