हिमाचल प्रदेश पयर्टन, सांस्कृतिक धरोहर, व्यंजन एवं हिमाचली उत्पाद को प्रोत्साहित करने के लिए पर्यटन और नागरिक उड्डयन विभाग, उद्योग विभाग, भाषा, कला और संस्कृति विभाग व पर्यटन विकास निगम के माध्यम से प्रदेश ‘थीम स्टेट’ के रूप में 34वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला-2020 में भाग ले रहा है। प्रतिष्ठित सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला 1 से 16 फरवरी, 2020 तक सूरजकुंड, फरीदाबाद (हरियाणा) में आयोजित किया जा रहा है। अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यटन और नागरिक उड्डयन आरडी धीमान ने आज बताया कि इस वर्ष हिमाचल प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राज्य में पर्यटन क्षमता, सांस्कृतिक विरासत, हथकरघा-हस्तशिल्प और राज्य के अन्य उत्पादों को प्रदर्शित करने का अवसर मिला है।
आर.डी. धीमान ने कहा कि ‘थीम स्टेट’ के रूप में इस बार विभाग ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के लिए हिमाचल प्रदेश की पारंपरिक कला और संस्कृति को एक स्थान पर दिखाने के लिए सभी आवश्यक प्रबंध किए हैं। उन्होंने कहा कि 16 दिनों के शिल्प मेले के दौरान, मेला मैदान में प्रतिदिन हिमाचली सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा 4 फरवरी, 2020 को हिमाचली सांस्कृतिक संध्या तथा 9 फरवरी, 2020 को एक प्रसिद्ध फैशन डिजाइनर रितु बेरी द्वारा एक फैशन शो का भी आयोजन किया जाएगा। हिमाचल के उत्पादों के प्रदर्शन और बिक्री के लिए 70 कारीगरों के स्टाॅल भी लगाए जाएंगे। मेले के दौरान विभिन्न प्रकार के हिमाचली व्यंजन परोसने के लिए हिमाचली व्यंजन स्टाॅल भी लगाया जाएगा।
पर्यटन और नागरिक उड्डयन विभाग के निदेशक यूनुस ने बताया कि पर्यटन विभाग प्रिंट और इलेक्ट्राॅनिक मीडिया के माध्यम से राज्य को पर्यटन के दृष्टिकोण से प्रचारित करेगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री 1 फरवरी को सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले के उदघाटन अवसर पर तथा 16 फरवरी, 2020 को समापन अवसर पर प्रदेश के राज्यपाल कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे।
उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग ने सूरजकुंड शिल्प मेला प्राधिकरण की परंपराओं के अनुसार ‘थीम स्टेट’ के रूप में मेला मैदान में पहाड़ी वास्तुकला के एक स्थाई द्वार तथा भीमाकाली मंदिर, सराहन के स्थाई स्मारक का निर्माण किया है। इसके अलावा, साक्य टंगयुद मठ स्पीति, चंबा मिलेनियम गेट, छिन्न मस्तिका शक्तिपीठ चिंतपूर्णी, चिंडी माता गेट करसोग और ज्वालामुखी मंदिर गेट की शैली में शिल्प मेला मैदान के प्रत्येक प्रवेश स्थल पर पांच द्वार और पारंपरिक शैली में एक ‘अपना घर’ भी स्थापित किए जाएंगे। पर्यटन विभाग द्वारा पर्यटकों को जानकारी प्रदान करने और प्रदेश के अछुते पर्यटन स्थलों को प्रदर्शित करने के लिए एक सूचना केंद्र भी स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग ने इससे पहले वर्ष 1996 में ‘थीम स्टेट’ के रूप में भाग लिया था।