हिमाचल प्रदेश में शराब के नशे का कारोबार इतना बढ़ चुका है कि अब ये हिमाचल की संस्कृति को भी नुकसान पहुंचाने लगा है। शराब के इस बढ़ते नशे में हिमाचल की अपनी एक अलग पहचान जहां छिपती जा रही है, वहीं जनता भी इस जहरीले पदार्थ की चपेट में आकर अपनी संस्कृति को भूला रही है।
दरअसल, बदलती दुनिया के साथ-साथ हिमाचल भी आगे बढ़ रहा है, लेकिन बात करें यहां की संस्कृति की तो ये बदलते समय के साथ-साथ लुप्त होती जा रही है। आज हिमाचल के अधिकांश शहरी इलाकों में लोग किसी भी पारंपरिक या संस्कृतिक कार्यक्रम को शराब की तौहीन हो रहे है। चाहे कोई त्यौहार हो या उत्सव, पार्टी हो या शादी हर जगह पर लोग शराब को अधिक महत्व दे रहे हैं औऱ किसी उत्सव को रसमों-रिवाजों से मनाने के बजाए खुद को शराब पीकर मनोरंजन कर रहे हैं।
यहां तक आने वाली युवा पीढ़ी में भी शराब के इस नशे का खूब क्रेज है। हर एक त्यौहार, उत्सव को मनाने के बजाए युवा पीढ़ी शराब के नशे के साथ इसे सेलिब्रेट कर रही है। कई लोग तो शराब के नशे में धुत्त होकर घर तक नहीं जाते औऱ ना ही अपने घरवालों के साथ किसी त्यौहार को मनाते हैं।
कांगड़ा शहर में सर्वे के मुताबिक, शहर की 60 प्रतिशत जनता किसी त्यौहार पर शराब के जाम से त्यौहार की शुरूआत करते हैं। इसका अंदाजा त्यौहारों के दिन शराब के ठेकों पर लगी कतारों से भी लगाया जा सकता है। हालांकि, लोग त्यौहार के दिन अपने घर पर तो जाते हैं, लेकिन उनका पहला स्टेप शराब पीना होता है। इस सर्वे रिपोर्ट के बाद ये कहना गलत नहीं होगा कि हिमाचल में बढ़ते शराब के नशे में यहां की संस्कृति डूबती जा रही है।
ऐसा ही रहा तो आने वाली युवा पीढ़ी कुछ समय बाद किसी भी त्यौहार को रसमों-रिवाज से नहीं मनाएगी। अधिकांश युवा शराब के नशे में डूबकर सड़कों, होटलों में ही पड़े रहेंगे और अपने घर जाकर किसी भी उत्सव का पारंपरिक तरीके से आंनद नहीं उठा पाएंगे। इस बदलते मिज़ाज से हिमाचल भी अपनी संस्कृति और पारंपरिक होने की छवि को खोता जाएगा और एक समय ऐसा आएगा जब हिमाचल में लोग प्रदेश के छोटे-छोटे उत्सवों को भूल जाएंगे और एक एंडवांस राज्य के रूप में शराब की कारोबारी आसमान पर होगी।
सरकार ने भी दिया शराब पर फैसला
वहीं, शराब के कारोबार की बात करें तो पिछले पांच सालों में सरकार भी शराब के हक में कई फैसले लेती आई है। पहले जहां सुप्रीम कोर्ट ने एनएच से ठेके हटवाने को कहा तो हिमाचल सरकार ने 16 हाईवे को स्टेट में तबदील कर दिया। उसके बाद शराब व्यापारियों को अपनी मनमर्जी से पैसे वसूलने के आदेश जारी कर दिए गए, जो कि मुख्य रूप से मुनाफे के लिए किए गए। लेकिन, इससे हिमाचल को क्या नुकसान होगा ये आकलन किसी सरकारी रिकॉर्ड में नहीं…