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सड़कों पर उतरने को मज़बूर ट्रेनी कंडक्टर, स्थाई रोजगार के लिए की नीति की मांग

पी. चंद |

अपने लिए ठोस नीति बनाने की मांग कर रहे ट्रेनी कंडक्टर सरकार की अनदेखी को देखते हुए सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हो गए हैं। गुरुवार को महिलाओं सहित सैकड़ों ट्रेनी कंडक्टरों ने सचिवालय का घेराव किया और अपने मागों के समर्थन में नारेबाजी की। वहीं, सचिवालय में कैबिनेट मीटिंग जारी है और इन ट्रेनी कंडक्टरों के इस बार सरकार से पूरी उम्मीद है।

इससे पहले भी इन ट्रेनी कंडक्टरों ने हड़ताल की थी और पूरे प्रदेश में काम ठप रखा था। बीते सोमवार को हुई इस हड़ताल से HRTC के लगभग 250 रूट प्रभावित हुए थे। कई जगहों पर बसे पहुंच ही नहीं पाई, जिसके ख़ामियाज़ा ट्रैवलर्स को भुगतना पड़ा था। उस वक़्त इन कंडक्टरों ने चेतावनी दी थी कि 26 अप्रैल यानी गुरुवार को कैबिनेट बैठक के दौरान धरना दिया जाएगा और नीति बनाने की मांग की जाएगी।

वहीं, इस मामले में संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष जीत सिंह नेहटा ने कहा कि नियमितीकरण की मांग को लेकर परिचालक क्रमिक अनशन कर रहे हैं। लेकिन अब अनशन के साथ ही हड़ताल पर जाने का भी निर्णय लिया है। ये हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक सरकार ट्रेनी कंडक्टरों के लिए कोई ठोस नीति नहीं बना देती। राजस्थान में भी ट्रेनी कंडक्टरों को एक नीति के तहत नियमित किया गया है और हिमाचल सरकार को भी ऐसी नीति बनानी चाहिए।

साथ ही ट्रेनी कंडक्टरों ने आरोप लगाया कि कौशल विकास योजना में प्रशिक्षण के नाम पर निगम प्रबंधन ने उनका शोषण किया है। ग़ौरतलब है कि ये वे ट्रेनी कंडक्टर हैं जिन्हें कौशल विकास के तहत ट्रेंड किया गया था और बाद में नौकरी का आश्वासन दिया गया था। ट्रेनिंग के बाद आदेश जारी हुए कि कंडक्टर भर्ती पूरे रूल रेगूलेशन से होगी, जिसके बाद उन्हें पार्ट टाइम बस में कभी चढ़ा दिया जाता है तो कभी नहीं। उनके पास कोई स्थाई रोजगार नहीं और प्रदेश में 2 हजार के क़रीब ट्रेनी कंडक्टर हैं जो कौशल विकास के तहत ट्रेंड किए गए थे।