ऊना की ईसपुर में गुम चोट से जूझ रही शिवानी की सुनने वाला कोई नहीं है। उसके इलाज़ के लिए परिवार वालों को लाखों की जरूरत है, लेकिन न ही प्रशासनिक स्तर पर और न ही राजनीतिक स्तर पर कोई उनकी मदद के लिए तैयार है। यहां तक कि मौजूदा सरकार में विधानसभा स्पीकर राजीव बिंदल ने इसपर ग़ौर तो किया, लेकिन सिर्फ 5 हजार का मदद देकर पीछे हट गए। इन 5 हज़ार रुपयों से इलाज़ तो दूर शिवानी की दवाइयां तक भी नहीं आती।
यही नहीं, परिवार वालों ने हरोली विधायक, तहसीलदार समेत कई नेताओं और प्राशसनिक अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन 10 साल बीत जाने के बाद आज दिन तक किसी ने मदद के लिए कदम नहीं बढ़ाया। लिहाज़ा, अब एक समाज सेवी ने उनकी मदद के लिए कदम बढ़ाया है और चेतावनी दी है कि 10 दिन तक सरकार की ओर से ग़रीब के परिवार को मदद नहीं मिली तो डीसी ऑफिस के बाहर धरना दिया जाएगा और उसके इलाज़ की बात आगे रख़ी जाएगी।
दरअसल, ईसपुर की शिवानी को 3 साल की उम्र में सिर पर गुम चोट लगी थी, जिसके चलते उसके सिर पर पानी भरना शुरू हो गया। जैसे-जैसे शिवानी को उम्र बढ़ती गई, उसके सिर का आकार भी बढ़ता गया, लेकिन उसके बाकी पूरे शरीर का विकास नहीं हुआ। डॉक्टरों ने कई दफा कहा कि उसकी इस चोट की वज़ह से उसके शरीऱ का विकास नहीं होता, लेकिन परिवार वाले करें भी तो क्या…??
डॉक्टरों का साफ कहना है कि उसके इलाज के लिए लाखों का ख़र्च आएगा। डॉक्टरों की इस बात से परेशान कई बार घरवालों ने अधिकारियों से मुलाक़ात कर मदद दिलाने-करने की मांग की। लेकिन, जब थक हार के कोई काम न आए, तो घरवाले अपने बच्चों को उसी हालात में देखना सुखी समझ बैठते हैं।
ख़ैर जो भी है लेकिन इसी बीच सवाल ये भी है कि बेटियों की किसी उपलब्धि या घटना पर 'प्रदेश के बेटी, प्रदेश की बेटी' का प्रचार करने वाले नेताओं औऱ प्रशासन का क्या ये फर्ज़ नहीं बनता कि वे इस बेटी की मदद के लिए भी आगे आएं या फिर मदद दिलाएं…??