ऊना में रेलवे की ओर से प्रभावित को मुआवजा न देने पर कोर्ट के आदेश पर वीरवार को संपत्ति की नीलामी की गई। स्थानीय अतिरिक्त जिला जज की अदालत के आदेश पर त्यूड़ी में रेलवे की संपत्ति की नीलामी हुई। करीब 22 कनाल भूमि की नीलामी हुई, जिसमें 21 बोली लगाने वाले पहुंचे थे। इसमें उच्चतम बोली 13 लाख रुपये लगी है। स्वयं तहसीलदार ऊना विजय राय इस कार्रवाई को पूरा करवाने पहुंचे थे।
फरवरी महीने में राजस्व महकमे की ओर से इसके लिए मुनादी करवाई गई थी कि राजस्व महकमा रेलवे की भूमि की नीलामी करवाएगा। यह नीलामी पटवार कार्यालय पनोह में रखी गई थी। यहां इस भूमि की न्यूनतम बोली दस लाख से शुरू हुई। अब इस भूमि और रेल लाइन का मालिकाना हक भी उच्चतम बोली देने वाले त्यूड़ी गांव के राजेश कुमार को मिलेगा।
इसके लिए इसी महीने अंत तक राजस्व महकमा रिपोर्ट अदालत में पेश करेगा। इससे पहले 28 फरवरी को ऊना रेलवे स्टेशन के करीब अदालत के आदेश पर प्रभावितो की बकायेदारी के चलते राजस्व महकमे ने रेलवे की भूमि की नीलामी करवाई थी। यह नीलामी अजनोली गांव के संजीव कुमार ने सबसे अधिक बोली 17 लाख रुपये में उठाई थी। इसमें करीब रेलवे की 58 कनाल भूमि थी।
क्या था मामला..??
जिले में रेलवे लाइन से प्रभावित कई गांवों के लोगों की करीब दो दशक पहले भूमि रेलवे की ओर से अधिग्रहित की गई थी। इस बीच कई लोगों ने रेलवे पर उचित मुआवजा राशि अदा न किए जाने पर अदालत में अपील की थी। निचली अदालत ने निर्णय लोगों के हक में दिया था। रेलवे ने इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दे डाली। उच्च न्यायालय में भी अब दिलवां, ठठल और त्यूड़ी के प्रभावित लोगों के हक में निर्णय को बरकरार रखा। एक निर्णय 2015 का है जबकि दो निर्णय वर्ष 2018 के हैं। इन लोगों की मुआवजा राशि जो करीब 60 लाख बनती है उसकी अदायगी नहीं हो पाई। अदालत इस पर सख्ती दिखाते हुए राजस्व महकमे से रेलवे की संपत्ति को नीलाम करके प्रभावितों को मुआवजा राशि अदा करने को कहा है।
कोटला कलां और त्यूड़ी में हुई नीलामी
अदालत के इन आदेशों में यह भी कहा है कि रेलवे की जो भूमि जब्त की गई है अथवा चिह्नित की गई है। इसे नीलाम करके उससे प्राप्त होने वाली राशि से ही प्रभावितों के मुआवजे की भरपाई की जाए। इस तरह ऊना के समीप कोटला कलां की भूमि के अलावा त्यूड़ी में भी रेलवे प्लेटफार्म और पटरी वाले कुछ हिस्से की भूमि की नीलामी की सूचनाएं पूरे क्षेत्र में जारी करके राजस्व महकमे ने अदालत के हुक्म की तामील की है।
अदालत के आदेश पर रेलवे स्टेशन और ट्रेन भी हो चुके हैं जब्त
रेलवे लाइन ऊना से तलावाड़ा के भूमि अधिग्रहण के बाद कई प्रभावितों द्वारा कम मुआवजा मिलने पर अदालत में अपील की थी। अदालत ने इन लोगों की अपील को जायज ठहराते हुए लगभग चार गुणा मुआवजा राशि बढ़ा दी थी। इस पर रेलवे की ओर से उच्च न्यायालय में अपील की थी, लेकिन वहां से भी रेलवे को राहत नहीं मिल पाई। ऐसे में करीब चार साल पहले अढ़ाई करोड़ से अधिक की मुआवजा राशि रेलवे प्रभावितों को समय पर अदा नहीं कर पाया था।
अदालत ने उस समय भी ऊना के रेलवे स्टेशन को सील कर दिया था और कई रेल रूट प्रभावित हो गए थे। यहां तक कि हिमाचल एक्सप्रेस ट्रेन को भी जब्त करने के आदेश जारी किए गए थे। बाद में रेलवे द्वारा राशि अदा किए जाने पर अदालत ने इसे कुछ घंटों के बाद रिलीज कर दिया था।