इराक के मोसूल में मारे गए 39 भारतीयों में 4 हिमाचल के रहने वाले थे। जयराम सरकार ने इनके परिवारों को 4-4 लाख की राशि देने का ऐलान कर दिया है, लेकिन प्रभावित परिवार इससे नाखुश नज़र आ रहे हैं। पीड़ित परिवारों का कहना है कि फोन तो कई नेताओं, मंत्रियों के आए लेकिन कोई घर पर हाल जानने नहीं आया और न ही उन्हें राशि के बारे में कोई सूचना मिली।
पीड़ित परिवारों की एक ही रट्ट है कि चाहे केंद्र हो या राज्य सरकारें अगर कोई इस तरह की घटना होती है तो वह दुखती हुई रग पर चंद रुपयों के राहत का मरहम लगाकर मामलों को आया-गया कर देती हैं। हमारे देश के युवाओं की विदेश में हो रही निर्मम हत्याओं के पीछे की सरकार किसी तरह का कोई प्रयास नहीं कर रही है। इन हत्याओं के पीछे सबसे बड़ा कारण है देश और प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी।
इन परिवारों का कहना है कि अपने देश में रोजगार न मिलने से निराश युवा जब विदेश जाते हैं तो वहां इस प्रकार के हादसों का शिकार हो जाते हैं। अगर हमारे देश में उनके बच्चों को रोजगार मिल गया होता तो आज विदेश में उनके बच्चे इस कदर मौत की घाट नहीं उतारे जाते।
प्रदेश में बेरोजगारी के आंकड़े
अगर पूरे प्रदेशभर में बेरोजगारी के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो पूरे हिमाचल में 31 दिसंबर 2016 तक पंजीकृत बेरोजगारों का आंकड़ा 8 लाख 24 हजार 478 बताया गया था। जबकि 31 दिसंबर 2017 के जारी आंकड़ों में ये संख्या बढ़कर 8 लाख 34 हजार 714 तक जा पहुंची है। प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में सबसे ज्यादा बेरोजगार हैं जिनकी संख्या 1 लाख 90 हजार 783 है। सत्ता पाने के लिए बेशक कांगड़ा का नाम सबसे ऊपर रखा जाता है, लेकिन बेरोजगारों की इस फौज़ को खत्म करने पर कोई नहीं सोचता।
अक्सर देखा जाता है कि जब भी किसी परिवार के साथ इस तरह की घटना होती है, तो सरकारें चंद रूपए देने की घोषणा कर इंसान की जिंदगी को तोलकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल देती है। इस बार भी ऐसा ही हुआ है, जिससे परिवार नाखुश नज़र आ रहे हैं।