Follow Us:

हिमाचल प्रदेश: 159 वोटर्स वाला गांव.. ‘पलटेगा’ चुनाव?

desk |

लोकतंत्र में वोट की ताकत सबसे अहम होती है और एक वोट सरकारें बदलने की ताकत रखता है. इसलिए कहा जाता है कि हर एक वोट जरूरी है. सफल मतदान के लिए अधिकारी दिन रात काम करते हैं.

वहीं हिमाचल प्रदेश में 1 जून को वोटिंग होनी है, जिसके लिए तैयारियां तेज हो गई हैं.. लेकिन आज हम आपको प्रदेश के एक ऐसे दुर्गम क्षेत्र के बारे में बताने जा रहे हैं..जहां पहुंचने के लिए 3 से 4 दिन लगते हैं.. ऐसे में इस क्षेत्र के लिए चुनाव आयोग को अपनी तैयारियों में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है.. प्रदेश के इस गांव में आज तक कोई भी नेता वोट मांगने के लिए भी नहीं पहुंचा सका है. लेकिन फिर भी यहां के लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं.. फिर चाहे उन्हें कोई भी दल या सरकार कुछ दे या ना दे.. इसीको तो वोट का अधिकार कहते हैं..

शायद इस गांव में मात्र 159 वोटर्स हैं, इसलिए कोई भी नेता या जनप्रतिधि वोटिंग के वक्त इनके पास जाकर कोई दावे या वादे नहीं करता है.. क्यों इनको पता है कि चुनाव आयोग अपनी तैयारियों के साथ इनके वोट डलवा ही देगा.. चलिए आपको बताते हैं कि ऐसा कौन का दुर्गम क्षेत्र है, जहां वोट डालने के लिए भी इतनी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है.. वो गांव है कांगड़ा जिले के बैजनाथ में पड़ने वाला बड़ा भंगाल…

यहां लोकसभा चुनाव के सातवें और आखिरी चरण में 1 जून को मतदान होना है. 159 मतदाता यहां मतदान करेंगे. बड़ा भंगाल समुद्रतल से 2882 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां पैदल पहुंचने में तीन से चार दिन लग जाते हैं. नदी-नाले से होकर गुजरना पड़ता है. 2009 के लोकसभा चुनाव में बड़ा भंगाल में पहली बार मतदान केंद्र बना पहले क्षेत्र के लोगों को करीब 78 (अठत्तर) किमी. दूर बीड़ में वोट देना पड़ता था.

जिससे ज्यादत्तर मतदाता अपमा वोट नहीं दे पाते थे. 2009 के चुनाव में चुनाव आयोग ने अपनी टीम को हेलिकॉप्टर के जरिए बड़ा भंगाल भेजा. और 2009 के बाद से ही बड़ा भंगाल में चुनाव समपन्न करवाने के लिए चुनाव आयोग की हेलिकॉप्टर का सहारा लेती रही है.

वर्ष 2011 में बड़ा भंगाल पंचायत में पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, तत्कालीन वूल फेडरेशन अध्यक्ष त्रिलोक कपूर हेलिकॉप्टर के माध्यम से पहुंचे थे और लोगों को संबोधित किया था. इसके बाद 2018 में पहली बार तत्कालीन बैजनाथ विधायक मुल्ख राज प्रेमी ने हेलीकॉप्टर के माध्यम से बड़ा भंगाल का दौरा किया.

हालांकि, अभी तक कोई भी नेता वोटिंग के वक्त प्रचार करने नहीं पहुंचा है. प्रदेश के कांगड़ा जिले की सबसे दुर्गम पंचायत बड़ा भंगाल में वर्तमान में रहने वाले 159 मतदाताओं को लोकसभा चुनाव में मतदान की सुविधा प्रदान करने के लिए जिला प्रशासन ने पहले ही पोलिंग पार्टी भेज दी है. प्रशासन ने यहां चुनाव की सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं.

भले ही भौगोलिक परिस्थितियां बड़ा भंगाल में काफी कठिन हों, लेकिन सवाल ये है कि चुनाव के वक्त इनके वोट लेने के लिए सरकारें तैयारियों में कहां से इतना धन खर्च कर देती हैं.. अगर हर सरकार चुनाव से पहले इस दुर्गम क्षेत्र के लोगों के बारे में सोच ले..तो हर चुनाव में ऐसी कठिनाइयों का सामना ही क्यों करना पड़े?