30 वर्षीय सुनीता हिमाचल के जगजीत नगर की रहने वाली है। दो बार विधवा होने के बाद सुनीता अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रही है। सुनीता की मां अब तक सुनीता के आधार कार्ड के लिए 5000 रूपए खर्च कर चुकी है। सुनीता को आशा है कि आधार कार्ड बनने से उसे अधिकारो की लड़ाई लड़ने में मदद मिलेगी।
सुनीता के ससुराल वालों ने इंच भर प्रॉपर्टी देने से मना कर दिया है। सुनीता कहती है अगर उसकी कोई संतान होती तो मामला कुछ ओर होता। यदि मेरे पास थोड़ी सी जमीन भी होती तो दोबारा शादी नहीं करती। हिमाचल प्रदेश में अकेली महिलाओं की संख्या 28 प्रतिशत बढ़ी है।
महिलाओं की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। 2001 की जनगणना के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश में 2,4 9, 000 एकल महिलाएं थीं। साल 2011 महिलाओं की यह संख्या से 3,21,556 तक बढ़ गई।
नेशनल फॉरम फॉर राईट ऑफ सिंगल वूमैन के प्रेसिंडेंट निर्मल ने बताया कि देश में 80 प्रतिशत फील्ड वर्क महिलाएं करती है। पर प्रॉपर्टी के नाम पर उन्हें कुछ पता नहीं होती कि कब उनके पति जमीन बेच देते है। यह एक जटिल मुद्दा है और रेवेन्यू रिकार्ड में कुछ बदलाव कर महिलाओं को सुरक्षा दी जा सकती है। नीति आयोग ने भी सिफारिशों को माना है कि जमीन बेचने सम्बंधी रिकॉर्ड में पत्नियों के नाम को भी सम्मलित किया जाना चाहिए।