हिमाचल प्रदेश के सिरमौर में कौशल विकास योजना के तहत भत्ते में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने इस संबंध में डीसी सिरमौर को मामले की जांच के लिए लेटर भेजा है। आयोग के अध्यक्ष अतुल कौशिक ने बताया कि सिरमौर जिले में जो सामने आया है, उसके बाद अन्य जिलों में भी व्यवस्थाओं को जांचा जाएगा।
दैनिक अख़बार के मुताबिक, सिरमौर में कई शिक्षण संस्थानों के नकली सर्टिफिकेट दिखाकर भत्ता लेने चाहे हैं। सिरमौर के रोजगार कार्यालयों और कुछ संस्थानों के दस्तावेजों में कई खामियां मिली हैं। आयोग की एक टीम ने बीते दिनों जिला सिरमौर में कौशल विकास के कोर्स करवाने वाले संस्थानों का निरीक्षण किया। कई संस्थानों ने इस दौरान उनकी ओर से कौशल विकास भत्ता लेने के लिए कोई भी सर्टिफिकेट प्रशिक्षार्थियों को जारी नहीं करने की बात की।
कुछ संस्थानों ने जारी सर्टिफिकेट की संख्या बताई। जब आयोग ने रोजगार कार्यालय में रिकॉर्ड जांचा तो ऐसे संस्थानों के सर्टिफिकेट भी भत्ता लेने वाले युवाओं के आवेदनों के साथ पाए गए, जिन्होंने इन्हें जारी ही नहीं किया था। कुछ संस्थानों के निर्धारित संख्या से अधिक सर्टिफिकेट पाए गए। आयोग ने इस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए डीसी सिरमौर को सारा रिकॉर्ड भेजते हुए मामले की गहनता से जांच करने की सिफारिश की है।
आपको बता दें कि प्रदेश सरकार योजना के तहत कौशल विकास के तहत एक हजार से 1500 रुपये तक प्रति माह भत्ता दे रही है। यदि व्यक्ति 50 फीसदी से अधिक दिव्यांग है तो उसे सरकार प्रति माह 1500 रुपये दे रही है। भत्ता अधिकतम दो साल की अवधि के लिए दिया जाता है। इसके लिए रोजगार कार्यालय में नाम पंजीकृत होना जरूरी है और 16 से 36 वर्ष के आयु वाले इस योजना का लाभ लेने के लिए पात्र हैं।