Follow Us:

हिमाचल की झोली से फिसल सकता है 2,000 करोड़ का निवेश

डेस्क |

भाजपा सरकार के चार साल पूरे होने के अवसर पर की जा रही दूसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी से पहले प्रदेश को बड़ा झटका लगा है। 3,000 लोगों को रोजगार देने वाली इलेक्ट्रिक बस उद्योग प्रदेश की झोली से फिसलता दिख रहा है

2,000 करोड़ के इस निवेश के लिए कम्पनियों ने 50 फीसदी इलेक्ट्रिक बसें खरीदने की शर्त रखी है। बताया जा रहा है प्रदेश सरकार ने भौगोलिक स्ठिति अनुकूल न होने के कारण इस शर्त को ठुकरा दिया है

सरकार के इस फैसले से जिला कांगड़ा के चनौर और जिला ऊना के जीरकपुर बरैडी और कंदरोड़ी में होने वाले 2,000 करोड़ के निवेश पर पानी फिरता दिख रहा है। आपको बता दें कि हंगरी के ग्रुप एमएस सीएसईपीईएल होल्डिंग कंपनी और न्यू इंडिया एसराम एमराम कंपनी ने इस प्रोजेक्ट को स्थापित करने के लिए हामी भरी थी। अगर ये उद्योग प्रदेश में स्थापित हो जाते तो हिमाचल में 8,000 इलेक्ट्रिक बसें बननी थी। इनके साथ चार्जिंग स्टेशन, बैटरियां और स्पेयर पार्ट्स भी बनाए जाने थे।

अब इन दोनों ही कम्पनियों ने कर्नाटक का रुख कर लिया है। 50 फीसदी बसें खरीदने की शर्त को कर्नाटक सरकार ने मान लिया।