Himachal Water Scam: शिमला जिले में हुए पानी टैंकर आपूर्ति घोटाले की जांच को लेकर सरकार और विजिलेंस दोनों सक्रिय हो गए हैं। सरकार ने अधीक्षण अभियंता (एससी) कसुम्पटी को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा है, जबकि विजिलेंस ने मामले में प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। इस जांच के तहत अधिकारियों और ठेकेदारों को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
विजिलेंस को आशंका है कि यह मामला केवल एक करोड़ रुपये का नहीं बल्कि इससे कहीं बड़ा हो सकता है। इसके लिए अधिकारियों और ठेकेदारों की फोन डिटेल खंगाली जा रही है। साथ ही, पानी की आपूर्ति का लाभ पाने वाले लोगों से भी पूछताछ की जाएगी।
यह मामला पिछले साल फरवरी से जून के बीच ठियोग उपमंडल में सूखे के दौरान पानी की आपूर्ति के लिए टैंकरों के उपयोग से जुड़ा है। आरोप है कि जिन गाड़ियों के नंबर पानी टैंकर के रूप में दिखाए गए थे, वे मोटरसाइकिल, कार, और अधिकारियों की निजी गाड़ियां थीं। कुछ गांवों में, जहां सड़कें तक नहीं हैं, वहां भी पानी की आपूर्ति दर्ज की गई।
विजिलेंस ने जल शक्ति विभाग से रिकॉर्ड मांगा है और संबंधित दस्तावेजों की जांच के लिए एसडीएम कार्यालय का रिकॉर्ड पहले ही कब्जे में ले लिया है। जांच में फर्जी डिग्री घोटाले की जांच कर चुके एएसपी नरवीर सिंह राठौर को शामिल किया गया है।
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि इस मामले में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। निलंबित अधिकारियों पर पेंशन और अन्य भत्तों पर भी रोक लगाई गई है।
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