शांत जाने वाले पहाड़ी राज्य हिमाचल की फिजाओं में नशे का जहर घुल चुका है। प्रदेश का युवा नशे की गिरफ्त में बुरी तरह फंसता जा रहा है। यह नशा शराब, अफीम और चरस तक ही सीमित नहीं, बल्कि अब हिमाचल में कई तरह का नशा सप्लाई हो रहा है, जिसमें मुख्य रूप से मेडिकल ड्रग्स शामिल हैं, जो कि साधारण मेडिकल स्टोर पर भी उपलब्ध हो जाते हैं।
प्रतिबंधित दवाइयों का ये चलन नशे के रूप में बढ़ रहा है, जो कि युवा पीढ़ी के लिए सबसे बड़ा खतरा है। यही नहीं, अब तो नशे का सामान ऑनलाइन भी मिलना शुरू हो चुका है, जो कि हिमाचल जैसे शांत राज्य के लिये चिंता का विषय है। ये बात शिमला में मंगलवार को नशे के खिलाफ रखी गई संगोष्टी में सामने आई। नागरिक सभा के बैनर तले कई संस्थाओं के प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए।
पहचान वुमेन वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष बिंदु जोशी ने कहा कि एशिया में भारत सबसे बड़ा नशे का बाजार है। शिमला भारत के उन 10 शहरों में आता है, जहां सबसे ज्यादा युवा नशे की गिरफ्त में हैं। हिमाचल के कुल 40 फीसदी युवा नशे के दलदल में फंस चुके हैं। देश में हर 96 मिनट में एक व्यक्ति नशे के कारण मर रहा है, जिसमें एक्सीडेंटल डेथ शामिल नहीं है।
बिंदु ने बताया कि भारत में नशे के सालाना 20 करोड़ का व्यापार है। युवाओं का नशे के प्रति रुझान सामाजिक समस्या के साथ-साथ सरकार स्तर पर कमी का भी नतीजा है। इसके लिए खेल नीति और युवा नीति बनाने की जरूरत है।