मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सामान अधिनियम, 1999 के भौगोलिक संकेतक (जीआई) के तहत हिमाचली काला ज़ीरा और हिमाचली चूली तेल के पटेंट पर प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए हिमाचल प्रदेश विज्ञान प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का यह प्रयास राज्य के पारंपरिक उत्पादों के संरक्षण में काफी सहायक सिद्ध होगा। यह बाजार की संभावनाओं को और बढ़ाएगा, जिसके परिणामस्वरूप इन उत्पादों की खेती में शामिल क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में वृद्धि होगी।
जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने हिमाचल प्रदेश के भौगोलिक संकेतकों के पंजीकरण के लिए अधिसूचना संख्या-एसटीई-एफ (1)-6/2004 दिनांक 10 सितंबर, 2004 के तहत एक नीति तैयार की है। हिमाचल प्रदेश पेटेंट सूचना केंद्र (एचपीपीआईसी) हिमाचल प्रदेश विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद को हिमाचल प्रदेश के संभावित भौगोलिक संकेतक (जीआई) की पहचान करने और जीआई अधिनियम के तहत इनका पंजीकरण करवाने के लिए नोडल एजेंसी घोषित किया गया है ताकि प्रदेश के उत्पादकों/कारीगरों के हितों की रक्षा की जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जीआई अधिनियम के तहत इन उत्पादों का पंजीकरण होने से अनाधिकृत उत्पादन पर रोक के साथ-साथ हिमाचली काला जीरा और हिमाचली चूली तेल के नाम का दुरूपयोग नहीं होगा। जीआई अधिनियम के तहत इन उत्पादों के मूल क्षेत्र के अलावा अन्य उत्पादकों द्वारा पंजीकृत भौगोलिक संकेत के अनाधिकृत उपयोग व उल्लंघन के परिणामस्वरूप कारावास तथा जुर्माना हो सकता है।