हिमाचल में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक विसात बिछ चुकी है. हिमाचल में 12 नवंबर को मतदान कार्य संपन्न होगा और 8 दिसंबर को इसके परिणाम निकेलेंगे. चुनावों को लेकर हिमाचल में सियासत की चौसर की बिसात सज चुकी है और दोनों की प्रमुख दलों कांग्रेस-बीजेपी ने अपने-अपने महारथी इस रणभूमि में उतार दिए हैं. इसके साथ की प्रदेश की राजनीति में दोनों प्रमुख दलों में शह-मात का खेल भी शुरू हो चुका है. इसके साथ ही चुनाव को लेकर दोनों दलों के बागी भी दोनों पार्टीयों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं.
वहीं, दूसरी तरफ दोनों ही दलों द्वारा चुनाव प्रचार चरम सीमा पर है. दोनों ही दलों के नेता अपने -अपने मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में जुटे हुए हैं. इस बार के विधानसभा चुनावों में खास बात यह हैं कि किसी भी पार्टी के प्रत्याशी के लिए चुनाव में पार पाना आसान नहीं दिख रहा है. चुनाव में मतदाताओं का हाल लाल बुझक्कड़ जैसा है.
उधर कार्यकरताओं को छोड़कर आम मतदाता किसी भी पार्टी से टूटना नहीं चाहते और ना ही किसी को नाराज करना चाहते हैं. हिमाचल का मतदाता वोट मांगने आ रहे सभी पार्टीयों के प्रत्याशियों को उन्हीं को अपना वोट देने का आश्वासन देकर खुशी-खुशी घर लौटा रहे हैं.
मतदाता किसी भी पार्टी के प्रत्याशी को नाराज नहीं कर रहें हैं. वहीं, दूसरी और प्रत्याशी जनता के आश्वासन से गद-गद हैं और अपनी जीत सुनिश्चित मान कर जीत की ताल ठोक रहें हैं. खैर अभी तक मतदाओं की चुप्पी के बीच प्रत्याशियों का भविष्य है और आश्वासन पर अपनी-अपनी जीत का दावा है. इन सबके बीच देखना है कि कौन प्रत्याशी अपने-अपने पक्ष में मतदाताओं को गोलबंद कर पाते हैं यह तो समय ही बताएगा कि जीत का सेहरा किसके सर बंधेगा और किसकी हार होगी ये तो आठ दिसंबर को ही पता चलेगा.