जिला कांगड़ा के होटल व्यवसायियों में कोरोना महामारी और सरकार की अनदेखी को लेकर उनमें सरकार के प्रति भारी विरोध पैदा हो गया है। कोरोना महामारी के दूसरे संकटकाल में पूरी तरह से चैपट हो चुके होटल कारोबार को लेकर अब होटल संचालकों ने खुद ही अपने होटलों में लॉकडाउन लगाने की तैयारी कर ली है। धर्मशाला सहित मैकलोडगंज भागसुनाग, सतोबरी, नडडी, धर्मकोट, खनियारा, न्यू इंद्रुनाग मंदिर रोड़ आदि जिला के अन्य पर्यटक स्थलों के होटलों के मालिकों ने पहली मई से बंद करने का एलान कर दिया है। होटल व्यवसायियों का कहना है कि कोरोना ने इस बार फिर पर्यटन की कमर को तोड़कर रख दिया है कि नई बुकिंग मिलना तो दूर पर्यटकों ने अपनी पुरानी बुकिंग भी कैंसल कर दी हैं। लगातार दो साल से पर्यटन और होटल व्यवसाय चोपट होने से होटल व्यवसायियों को बैंक का ब्याज देना भी मुश्किल हो गया है। सरकार की घोषणाएं केवल दिखावा साबित हुई हैं।
हिमाचल सरकार भी होटल व्यवसायियों के घावों पर मरहम लगाने में नाकाम रही है। ऐसे में ऋण पर पड़ रही ब्याज की मार ने सभी की नींद हराम की हुई है। ऐसे में होटल स्टाफ, बिजली, पानी के बिलों का भुगतान भी भारी पड़ रहा है। जल शक्ति विभाग और विद्युत विभाग के मीटरों के काटने के नोटिस होटल व्यवसायियों के घावों पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं। होटल एसोसिएशन के प्रधान अश्वनी बांबा के अनुसार अधिकतर एसोसिएशन सदस्यों का मानना है कि सरकार की बंदिशों के बीच पर्यटक आने से कतराने लगे हैं और ऐसे में कोई पयर्टक होटल में ठहरता है और कोरोना संक्रमित निकता है तो ऐसे में उनके हाथ खड़े होना लाजमी है।
उन्होंने कहा कि पर्यटन व्यवसाय पहले से ही खत्म हो चुका है ऐसे में वे अब और जोखिम उठाना नहीं चाहते ऐसे में कई होटल मालिकों ने एक मई से अपने होटलों को बंदकर लॉकडाउन करने की तैयारी कर ली है। होटल व्यवसाथियों विपन धिमान का कहना है कि प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना संकट के दौरान उन्हें कोई भी रात नही दे पाई हैए जबकि बैंकों का कर्जा और विभागों की मीटर काटने के नोटिस उनकी पीड़ा को और दुगना कर रहे हैं।
उनका कहना है कि सरकार पिछले साल भी और अब भी कोरोना संकट के दौरान प्रदेश सरकार होटल व्यवसायियों के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं बना पाई है जिसकों लेकर सरकार के प्रति का रोष लाजमी है। होटलों के पूरे स्टाफ को भी छुटियां दे दी जाएंगी। बीते वर्ष मार्च में कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन के कारण पर्यटन व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो गया था। अक्तूबर, नवंबर तक कोरोना की लहर धीमी पड़ी तो व्यवसायियों को पर्यटन विकास की उम्मीद जगने लगी थी, लेकिन अब के कारोना संकट ने होटल मालिकों को खुद लॉकडाउन लगाने को मजबूर कर दिया है।