हिमाचल प्रदेश परिवहन निगम के बस रूटों में फेरबदल होने की तैयारी जोरों पर है। लंबे रूटों पर सरकारी और निजी बसों के बीच 15 मिनट से लेकर डेढ़ से दो घंटे तक का अंतराल रहेगा। शहरों में भी बसें 10 से 15 मिनट का अंतराल बनाकर चलेंगी। सरकार ये कदम परिवहन निगम को घाटे से उबारने के लिए उठा रही है।
इसका हल निकालने के लिए सरकार निजी ऑपरेटरों के साथ भी बैठक करेगी और सरकारी बसों के साथ-साथ निजी बसों को उन इलाकों के रूट लेने होंगे जहां निगम को हर साल घाटे का सामना करना पड़ता है। दैनिक अखबार के मुताबिक, इसी नीति के मद्देनजर प्रदेश सरकार ने रूटों की फाइल मंगवा दी है और इस पॉलिसी से परिवहन निगम और निजी ऑपरेटरों को फायदा होगा।
वर्तमान में परिवहन निगम और निजी बस ऑपरेटरों में सवारियों को लेकर होड़ रहती है। कहीं 10 मिनट के बाद तो कहीं दो घंटे बाद भी लोगों को सेवाएं उपलब्ध नहीं हो रही हैं। प्रदेश में एचआरटीसी के पास 32 सौ के करीब बसें हैं। इनमें से करीब 27 सौ बसों को 2200 रूटों पर दौड़ाया जा रहा है। 600 रूट ऐसे भी हैं, जो घाटे पर चल रहे हैं। हर साल निगम को इन रूटों से 200 करोड़ रुपये तक का घाटा सहन करना पड़ रहा है।
पॉलिसी बनने के बाद निजी ऑपरटरों को भी घाटे के रूट और ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों से होकर गुजरना पड़ेगा। सरकार का मानना है कि परिवहन निगम की तरह निजी ऑपरेटर भी सर्विस प्रोवाइडर हैं। वर्तमान में बसें समयसारिणी के मुताबिक नहीं चल रही और केवल सवारियों को लेकर होड़ मची रहती है। निजी ऑपरेटरों के साथ इसका सेटअप बिठाया जाएगा और सभी को एक समान सर्विस देनी होगी।