कहा जाता है कर्म से ऊपर कुछ नहीं। इंसान अपने कर्म से ही भगवान को भी पा लेता है। हिमाचल पथ परिवहन निगम के परिचालक ने यह पंक्ति चरितार्थ कर दी है। 13 वर्ष के कार्यकाल में परिचालक जोगिंद्र उर्फ जोगी ने एक भी छुट्टी नहीं ली। उनकी उत्कृष्ट सेवाओं को देखते हुए सिरमौर कला संगम नामक संस्था उन्हें सम्मानित कर रही है।
28 जून को ददाहू में होने वाले कार्यक्रम में उन्हें डॉ. यशवंत सिंह परमार पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। लेकिन, जोगिंद्र शायद ही यह पुरस्कार लेने पहुंचेंगे। जोगिंद्र सिंह का कहना है कि 28 जून की शाम को होने वाले सम्मान समारोह में भी वह खुद नहीं जा पाएंगे। 3 घंटे की छुट्टी ली तो उनका प्रण टूट जाएगा। लिहाजा, वह सम्मान लेने के लिए अपने पिता को सुंदर सिंह को भेजेंगे।
4 जून 2005 से निगम के नाहन डिपो की बसों में परिचालक के पद पर कार्यरत जोगिंद्र सिंह मधुर भाषी, स्वच्छ छवि और सरल स्वभाव के हैं। वह नाहन से घाटों बस में सेवाएं दे रहे हैं। जोगिंद्र सिंह ने अपनी ड्यूटी को ही अपना फर्ज समझकर पिछले 13 वर्षों में एक भी छुट्टी नहीं ली।
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बसों की सीटों पर सोकर ही गुजार दीं रातें
केवल एक दिन हड़ताल व एक दिन दीपावली की रात को ही वह अपने घर गए। शेष रातें उन्होंने बसों की सीटों पर सोकर ही गुजार दीं। यहां तक कि निगम के आग्रह के बावजूद भी उन्होंने छुट्टी जाने की बजाय अपने 303 रविवारीय अवकाश निगम को दान करवा दिए।
लेकिन, अभी भी उनके पास करीब 550 रविवार की छुट्टियां शेष बची हैं। ईमानदारी दिखाने व निगम का घाटा दूर करने के लिए जोगिंद्र सिंह को वर्ष 2011 में निगम ने भी प्रशंसा पत्र और नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।