लंबी जदोजहद के बाद मुश्किल से राजधानी शिमला को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला। उसमें भी अभी काम नाममात्र हुआ है। अब शिमला में भर्तियों का बड़ा झोलमाल सामने आया है। स्मार्ट सिटी में 13 भर्तीयों के लिए न अखबार में विज्ञापन निकाला गया न ही कोई साक्षात्कार लिए गए। सीधा सिफारिश से भर्तियां कर ली गई। 20 दिसम्बर को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से 13 पदों की मांग की गई तीन दिन में यानी कि 23 दिसंबर को भर्तियां कर भी ली गई। ये सभी भर्तियां आउटसोर्स पर की गई है। जिसमें हेल्पर से लेकर प्रोजेक्ट मैनेजर तक रखे गए हैं जिनका वेतन 15 हज़ार से लेकर 70 हज़ार तक है। जो कि प्रति माह लगभग 4 लाख के करीब बैठता है।
इससे भी हैरानी करने वाली बात ये है कि 13 में से सिर्फ़ 7 उम्मीदवारों का पता ही लिस्ट में दिया गया है जबकि 6 का कोई पता नही है। जिनका पता लिस्ट में है वह सभी मंडी जिला के है। बाकी भी बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री के जिले से भर्ती किए गए हैं। ये भर्तियां हिमाचल इलेक्ट्रॉनिक डेवलोपमेन्ट कारपोरेशन के माध्यम से रत्न ग्रुप द्वारा आउटसोर्स आधार पर भरी जानी थी। जिसके लिए एक प्रक्रिया है। लेकिन सारी प्रक्रिया को दरकिनार कर सभी 13 चेहतों को भर्ती कर लिया गया। अब बेचारे नोकरी के इंतजार में बैठे प्रदेश के लाखों बेरोजगार किधर जाएं ये उनके साथ धोखा नही तो क्या है?