हिमाचल प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने तेंदुए से जुड़े एक मामले में कड़े आदेश जारी किए हैं। आयोग ने कहा कि उस तेंदुए को तत्तकाल जिंदा पकड़ने या मारने की संस्तुति आदेश जारी किए हैं। सभी पक्षों को सुनने के बाद और पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट के बाद आयोग ने ये आदेश जारी किए हैं। बता दें कि अगस्त माह में कनलोग से एक 5 साल की बच्ची को तेंदुआ उठा ले गया था जिसके बाद वे मृतक मिली। उसी संबंध में आज ये आदेश जारी हुए।
इसके साथ ही आयोग ने एक महीने के भीतर आसपास के सभी तेंदुओं को भी चिह्नित और टैग करने के लिए कहा है। यह आदेश ठीक ऐसे वक्त में आया है, जब शिमला में दिवाली की रात एक और बच्चे को तेंदुआ उठा ले गया था। इसके अलावा आयोग ने बच्ची की दादी को भी 4 लाख रुपये की पूरी मुआवजा राशि देने के आदेश भी दिए हैं।
आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति पीएस राणा और सदस्य डॉ. अजय भंडारी ने निर्णय में कहा कि यह मानवाधिकार हनन का मामला है। इस तेंदुए को मानव जीवन के लिए खतरा घोषित किया जाता है। तेंदुए ने इस छोटी बच्ची को इरादतन और पहले से ही सुनियोजित तरीके से मारा। अगर उस आदमखोर तेंदुए को पकड़ा जाना संभव नहीं है तो उसे तत्काल मारा जाना चाहिए। डीएफओ शहरी शिमला एवं वाइल्ड लाइफ वार्डन तेंदुए का तत्काल डेथ वारंट जारी करें।
आदेश में कहा गया कि विभिन्न स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे और कैमरा ट्रैप एक महीने के अंदर लगाए जाएं। आसपास के क्षेत्रों में एक महीने के अंदर फॉरेस्ट फेंस वायर लगाने के भी आदेश दिए हैं। आयोग ने कहा कि जीने का अधिकार एक संविधान के तहत प्रदत्त अधिकार है। ऐसी स्थिति में मानवाधिकार आयोग की मनुष्य जीवन की रक्षा करना कानूनी बाध्यता है।