एचआरटीसी पेंशनर के हालात बहुत खराब है। नौबत भूख मरी तक पहुंच गई है। 2013 के बाद लगातार पेंशन अदायगी में लगातार देरी हो रही है। निगम पेंशन देने की कोई एक तारीख तय नहीं कर पाया है। शिमला में आयोजित पत्रकार वार्ता में एचआरटीसी सेवानिवृत्त कर्मचारी कल्याण संगठन के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने बताया कि एचआरटीसी पेंशनरों ने अपनी मांगो को लेकर 14 जून को सड़कों पर उतर कर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान कर दिया है।
पेंशनरों ने कहा कि अगर सरकार ने पेंशनरों कि मांगो पर गौर नहीं किया तो पेंशनर भूख हड़ताल और आत्म दाह करने को भी मजबूर होंगे। पेंशनर जब भी सचिवालय में परिवहन मंत्री से मिलने जाते हैं तो मंत्री मिलते नहीं हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भी पेंशनर ने मुद्दा उठाया था उन्होंने पेंशनर की मांगों को लेकर गंभीरता तो दिखाई लेकिन विभाग ने अभी तक पेंशनर की तरफ ध्यान नहीं दिया है।
एचआरटीसी सेवानिवृत्त कर्मचारी कल्याण संगठन ने कहा कि एचआरटीसी पेंशनर के मेडिकल बिल दो-दो वर्षों से कार्यालयों में लंबित पड़े हैं। सारी उम्र एचआरटीसी में नौकरी करने के बाद अब पेंशनर भूखमरी के दौर से गुज़र रहे हैं। हर बार विभाग घाटे में होने की बात करता है घाटे में तो अन्य विभाग है फिर भी वे पेंशन दे रहे हैं।
परिवहन मंत्री कुछ महीने पहले कहते हैं कि विभाग ने काफी मुनाफा कमा लिया है तो पैसा जा कंहा रहा है क्यों पेंशन समय पर नही मिल रही है। पेंशनर ने बताया कि उनकी हालत उन पशुओं की तरह हो गई है जिसे इस्तेमाल करने के बाद बूढ़ा होने पर सड़कों पर मरने को छोड़ दिया जाता है।
गौरतलब है कि प्रदेश में एचआरटीसी के लगभग 6 हजार पेंशनर है। एचआरटीसी पेंशनरों का डीए बीते जुलाई 2015 से रीवाईव नहीं हुआ है जिसको लेकर अब एचआरटीसी सेवानिवृत कर्मचारी धरना प्रदर्शन करने को मजबूर है।