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IIT मंडी के विशेषज्ञ किडनी संबंधी ग्रैड सिस्टम प्रणाली देखने जाएंगे हिम्स डेराबस्सी

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मंडी: हिम्स ग्रुप के अस्पतालों में गुरुत्वाकर्षण एवं तापमान आधारित ग्रैड सिस्टम की मदद से 75 प्रतिशत क्रोनिक किडनी पेशेंट ठीक हो रहे हैं। दुनिया में पहली बार है कि किडनी रोगियों को डायलिसिस से मुक्ति मिल रही है और 75 प्रतिशत तक रोगी ठीक हो रहे हैं। यह दावा ग्रैड सिस्टम के आविश्कारक एवं हिम्स ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के को-फाउंडर डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी ने आईआईटी मंडी में आयोजित एक सम्मेलन में किया।

आईआईटी मंडी के डायरेक्टर प्रो. लक्ष्मीधर बहेरा ने ग्रैड सिस्टम के प्रोटोकॉल को प्रस्तावित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन इंटीग्रेटेड मेडिसिन में लागू करने की इच्छा जताई। वह विशेषज्ञों की टीम के साथ डॉ. चौधरी की मौजूदगी में चंडीगढ़ के निकट हिम्स अस्पताल, डेराबस्सी में ग्रैड प्रणाली की समीक्षा करने के लिए जाएंगे।

नेपाल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इसके लिए डॉ. चौधरी को हाल ही में आमंत्रित किया था। ग्रैड सिस्टम में किडनी मरीज को 3 माह तक प्रतिदिन 2 घंटे 40 डिग्री तापमान के पानी में बैठना होता है, जिससे त्वचा तीसरे किडनी जैसा व्यवहार करने लगती है। मरीजों को डिप डाइट दी जाती है और उनकी निगरानी ग्रेड ऐप द्वारा की जाती है। दयानंद आयुर्वेदिक कॉलेज जालंधर व श्रीधर यूनिवर्सिटी ने ग्रेड पर स्टडी की है, जिसका ब्यौरा ऐंड ऑफ ट्रांसप्लांट में है।

चंडीगढ़ से इंजीनियरिंग ग्रेजुएट व डायबिटीज में पीजी, डॉ. चौधरी को डायबिटीज व क्रोनिक किडनी डिजीज में उल्लेखनीय कार्य के लिए श्रीधर यूनिवर्सिटी ने मानद पीएचडी दी है। उनके मेडिकल इंजीनियरिंग आविष्कारों में मैथमेटिकल मॉडल ऑफ न्यूट्रीशन (डिप डाइट) तथा हीट व गुरुत्वाकर्षण पर आधारित ग्रैड सिस्टम प्रमुख हैं। 25 किताबों के लेखक, डॉ. चौधरी 21 हिम्स अस्पताल संचालित कर रहे हैं, जिनमें एक मलेशिया में है। उनकी गतिविधियां भारत, वियतनाम व मलेशिया में केंद्रित हैं।