Follow Us:

मुख्यमंत्री के क्षेत्र में पेड़ों का अवैध कटान, थुनाग में कुंभकरण बना वन विभाग

समाचार फर्स्ट डेस्क |

हिमाचल प्रदेश में वनों के अवैध कटान का संकट थमने का नाम नहीं ले रहा है। आलम ये है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का विधानसभा क्षेत्र भी पेड़ों के अवैध कटान से अछूता नहीं है। पिछले दिनों एसडीएम कार्यालय को लेकर सुर्ख़ियों में रहा थुनाग अब अवैध पेड़ों के कटान को लेकर चर्चा में है।

समाचार फर्स्ट को स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले एक सप्ताह से यहां पेड़ों का अवैध कटान किया जा रहा है। इनमें बड़ी संख्या में कयाल और कुछ देवदार के भी वृक्ष हैं।

रेस्ट हाउस के लिए काट डाले पेड़!

स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक पेड़ों की कटाई थुनाग रेस्ट हाउस को बड़ा करने के लिए किया जा रहा है। दरअसल, इस रेस्ट हाउस में सिर्फ 4 कमरे हैं और अब इसे बढ़ाने का काम किया जा रहा है। क्योंकि, जब से जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री बने हैं…यहां पर वीवीआईपी मूवमेंट भी बढ़ गई है। लिहाजा, इसके विस्तार का काम चल रहा है।

पर्यावरण संरक्षण से मतलब नहीं

पर्यावरण को दुरूस्त रखने के बजाय थुनाग में प्रशासन राजनीतिक हस्तियों को खुश करने में व्यस्त है। राजनीतिक जमातों के भी सुविधा के हिसाब से अपने-अपने नैरेटिव हैं। पेड़ों की कटान पर बीजेपी के लोगों का कहना है कि क्षेत्र के विकास के लिए सिर्फ छोटे पेड़ ही काटे जा रहे हैं। वहीं, कांग्रेस कहना है कि थुनाग में बड़े पेड़ों को काटा जा रहा है। इतना ही नहीं कांग्रेस के लोग ये भी आरोप लगा रहे हैं कि बड़े पेड़ों को काटन के बाद जेसीबी से के जरिए निशान मिटाने की कोशिशें चल रही हैं।

फॉरेस्ट विभाग के पास जवाब नहीं

पेड़ों के इस कटान पर फॉरेस्ट डिपार्टमेंट मूकदर्शक बना हुआ है। विभाग के अधिकारी मामले से खुद को अनजान बता रहे हैं। समाचार फर्स्ट ने इस मामले में संबंधित वन अधिकारी से बात की। लेकिन, उन्होंने इस मामले से खुद अनजान बताया। यहां तक कि वे इस मामले में तस्दीकर करने की भी जहमत नहीं उठा रहे हैं। रेंज अधिकारी एलसी ठाकुर ने कहा कि उनके पास ऐसी कोई जानकारी ही नहीं है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस पूरे प्रकरण में प्रशासन मौन रहकर अपनी भूमिका निभा रहा है। लिहाजा, वे पेड़ों की कटान का मसला एनजीटी के समक्ष उठाने वाले हैं। 

इसमें कोई शक नहीं कि हिमाचल को अभी आधारभूत विकास की जरूरत है। लेकिन, साथ में यह भी प्राथमिकता तय करनी होगी कि विकास की बुनियाद पर्यावरण को दरकिनार कर नहीं डाली जानी चाहिए।