भारत में 44 देशों से आयात हो रहे सेब और अन्य खाद्य पदार्थों से भारत के किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। हिमाचल प्रदेश के किसान बागवान भी हर साल सेब के सही दाम न मिलने से इस परेशानी को झेल रहे हैं। भारत सरकार भी डब्ल्यूटीओ के नियमों के अनुसार सेब पर केवल 50% कस्टम ड्यूटी लगा सकती है जोकि नाकाफी है। प्रदेश के किसान सेब को विशेष उत्पाद घोषित करने की केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं ताकि किसानों को सेब के अच्छे दाम मिल सके। हिमाचल प्रदेश फल, सब्जी एवं फूल उत्पादक संघ ने शिमला में किसानों की चुनौतियों पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें “सेब और विदेश व्यापार” पर किसानों के साथ चर्चा की।
सेमिनार में भारतीय विदेश व्यापार संस्थान के निदेशक अभिजीत दास और कृषि अर्थशास्त्री देवेंद्र शर्मा ने प्रदेश के बागवानों के साथ विषय को लेकर जानकारी दी। अभिजीत दास ने बताया कि विदेशों से आयात हो रहे सेब की वजह से भारत के किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूटीओ के नियमों अनुसार भारत सरकार केवल 50% कस्टम ड्यूटी लगा सकती है। लेकिन भारत के पास एडिशनल ड्यूटी लगाने का अधिकार है जिसमें एन्टी डंपिंग ड्यूटी, एन्टी सब्सिडी ड्यूटी और सेफ गार्ड ड्यूटी है। लेकिन सरकार ये तभी लगा सकती है जब सरकार ये साबित कर सके कि विदेशों से आयात कृषि उत्पाद से भारतीय किसानों को नुकसान हो रहा है। सरकार को डब्ल्यूटीओ के नियमों के अनुसार तय 15 मीटरों पर आंकड़े एकत्र करना होगा। यह 15 पैमाने दाम, रोजगार, उत्पादन इत्यादि हैं। आंकड़े एकत्र करने के लिए सरकार को किसानों जागरूक करना होगा।
गौरतलब है कि भारत में 44 देशों से खाद्यान्न उत्पादों का आयात होता है। जिसमें से हाल ही में 16 देशों ने 86 प्रतिशत खाद्यान्न उत्पादों पर आयात शुल्क खत्म करने की भारत से मांग की है । इसमें से 74 फीसदी उत्पादों में भारत सहमति जता चुका है जिसमें हिमाचल के सेब भी हैं जिससे किसान की चिंता और बढ़ गई है।